Makarand Deshpande: थिएटर से बॉलीवुड तक का सफर”

Makarand Deshpande

दोस्तों, अगर आप भारतीय सिनेमा और थिएटर के प्रेमी हैं, तो Makarand Deshpande का नाम आपके लिए नया नहीं होगा। अपने अनोखे अभिनय और गहरे संवाद अदायगी के लिए प्रसिद्ध मकरंद ने हिंदी सिनेमा में एक विशेष स्थान बनाया है। आज, उनके 59वें जन्मदिन के अवसर पर, आइए जानते हैं उनके जीवन की कुछ अनकही कहानियाँ और सफर के महत्वपूर्ण पड़ाव।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

6 मार्च 1966 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के दहानू में जन्मे Makarand Deshpande ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा श्री बीपीएम स्कूल, रत्नागिरी से पूरी की। बचपन से ही अभिनय के प्रति उनके जुनून ने उन्हें कॉलेज के दिनों में थिएटर की ओर आकर्षित किया, जहाँ उन्होंने कई नाटकों में हिस्सा लिया और अपने अभिनय कौशल को निखारा।

थिएटर की दुनिया में कदम

कॉलेज के समय से ही मकरंद थिएटर से जुड़े रहे हैं। उन्होंने न केवल अभिनय किया, बल्कि कई नाटकों का लेखन और निर्देशन भी किया। 1990 में, उन्होंने पृथ्वी थिएटर में अपने कार्य की शुरुआत की, जहाँ उन्हें संजना कपूर का समर्थन मिला। 1993 में, उन्होंने के के मेनन के साथ मिलकर ‘अंश थिएटर ग्रुप’ की स्थापना की, जो आज भी सक्रिय है। मकरंद ने अब तक 50 से अधिक लघु नाटक और 40 पूर्ण लंबाई के नाटक लिखे हैं, जिनमें ‘सर सर सिरला’, ‘जोक’, ‘माँ इन ट्रांजिट’, ‘कृष्ण किडिंग’ और ‘शेक्सपियरचा म्हातारा’ शामिल हैं।

फ़िल्मी करियर की शुरुआत

Makarand Deshpande ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1988 में आई फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ से की, जिसमें उन्होंने एक छोटी भूमिका निभाई थी। इसके बाद, 1989 में, उन्होंने शाहरुख खान के साथ टीवी शो ‘सर्कस’ में ‘कांति’ का किरदार निभाया, जिससे उन्हें पहचान मिली।

प्रमुख फ़िल्में और भूमिकाएँ

Makarand Deshpande ने हिंदी, मराठी, मलयालम, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में काम किया है। उन्होंने ज्यादातर सहायक भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन उनकी उपस्थिति हमेशा प्रभावशाली रही है। उनकी कुछ प्रमुख फ़िल्में हैं:

  • ‘सत्या’ (1998): इस क्राइम ड्रामा में उनकी भूमिका ने दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी।
  • ‘सरफ़रोश’ (1999): इस फिल्म में उनके किरदार को काफी सराहा गया।
  • ‘मकड़ी’ (2002): इस फिल्म में उनकी भूमिका ने बच्चों और वयस्कों दोनों का ध्यान खींचा।
  • ‘स्वदेस’ (2004): शाहरुख खान के साथ इस फिल्म में उनकी भूमिका यादगार रही।

इसके अलावा, उन्होंने ‘डरना ज़रूरी है’, ‘जंगल’, ‘चमेली’ और ‘कंपनी’ जैसी फिल्मों में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं।

निर्देशन और लेखन में योगदान

अभिनय के अलावा, Makarand Deshpande ने निर्देशन और लेखन में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने पांच फिल्मों का निर्देशन किया है:

  • ‘दानव’ (2003): यह उनकी पहली निर्देशित फिल्म थी।
  • ‘हनान’ (2004): इस फिल्म में उन्होंने सामाजिक मुद्दों को उठाया।
  • ‘शाहरुख बोला “खूबसूरत है तू”‘ (2010): यह फिल्म एक अनोखी कहानी पर आधारित थी।
  • ‘सोना स्पा’ (2013): इस फिल्म में उन्होंने नींद और सपनों की दुनिया को दर्शाया।
  • ‘शनिवार रविवार’ (2014): यह मराठी फिल्म थी, जिसमें उन्होंने निर्देशन किया।
  • उनकी लेखन शैली और निर्देशन कौशल ने उन्हें एक बहुमुखी कलाकार के रूप में स्थापित किया है।

Makarand Deshpande व्यक्तिगत जीवन

Makarand Deshpande ग्लैमर की दुनिया से दूर रहना पसंद करते हैं। उनका अनोखा हेयरस्टाइल और साधारण जीवनशैली उन्हें भीड़ से अलग बनाती है। एक समय पर, उनकी सगाई अभिनेत्री सोनाली कुलकर्णी से हुई थी, लेकिन 2006

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