Costao एक बायोग्राफिकल क्राइम ड्रामा है, जो 1990 के दशक के गोवा में सेट है। यह फिल्म कस्टम्स ऑफिसर कोस्टाओ फर्नांडीस की सच्ची कहानी पर आधारित है, जिन्होंने गोल्ड स्मगलिंग रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। फिल्म का प्रीमियर 1 मई 2025 को ZEE5 पर हुआ।

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कहानी की झलक
Costao फिल्म की कहानी कोस्टाओ फर्नांडीस के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक ईमानदार कस्टम्स ऑफिसर हैं। वह गोवा में चल रहे गोल्ड स्मगलिंग रैकेट का पर्दाफाश करने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना काम करते हैं। इस प्रक्रिया में उन्हें कई व्यक्तिगत और पेशेवर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक ईमानदार अफसर सिस्टम की भ्रष्टाचार से लड़ता है और अपने कर्तव्यों का पालन करता है।
कॉस्टाओ फर्नांडिस का जन्म 26 अप्रैल 1942 को कैबिंडा, अंगोला में हुआ था। अपनी शिक्षा यूनिवर्सिटी ऑफ फ्राइबर्ग से पूरी करने के बाद, उन्होंने राजनीति में कदम रखा और अंगोला के राजदूत के रूप में मिस्र, भारत और यूनाइटेड किंगडम में सेवा दी। लेकिन 1979 में उन्होंने अचानक एक अलग राह चुनी और गोवा कस्टम्स विभाग में प्रिवेंटिव ऑफिसर के पद पर नियुक्त हुए। इस समय तक वे ईमानदारी और भ्रष्टाचार-विरोधी छवि के लिए जाने जाने लगे थे।
1991 का सोने की तस्करी कांड
कॉस्टाओ फर्नांडिस के करियर की सबसे बड़ी और चुनौतीपूर्ण घटना मई 1991 में हुई। उस वक्त वे गोवा कस्टम्स में प्रिवेंटिव ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे। उन्हें जानकारी मिली कि गोवा में एक बहुत बड़ा सोने की तस्करी रैकेट चल रहा है, जिसका नेतृत्व अलवर्नाज़ अलेमाओ कर रहा था — जो कि पूर्व गोवा मुख्यमंत्री चर्चिल अलेमाओ का भाई था। यह नेटवर्क राजनीतिक संरक्षण से भी जुड़ा हुआ था, जिससे यह मामला और भी संवेदनशील बन गया।
फिर भी, कॉस्टाओ ने बिना डरे और बिना किसी समर्थन के कार्मोना बीच की ओर रुख किया, जहाँ करीब 8 करोड़ रुपये की तस्करी होने वाली थी। इस मिशन में एक तेज़ कार चेज़ भी शामिल था, जिसमें फर्नांडिस गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं अलवर्नाज़ अलेमाओ को भी गंभीर चोटें आईं और बाद में उसकी मृत्यु हो गई।
चर्चिल अलेमाओ इस घटना से बेहद नाराज़ हो गया और अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर कॉस्टाओ को हत्या के आरोप में फंसाने की कोशिश करने लगा। गवाहों ने बयान देने से मना कर दिया और CBI ने हत्या का चार्जशीट भी दाखिल कर दिया। लेकिन इसके बावजूद, कस्टम्स कमिश्नर्स ने अपने अधिकारी पर भरोसा जताया और चर्चिल तथा उसके साथियों पर COFEPOSA (विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम) के तहत भारी दंड लगाया।
कलाकार और उनके किरदार
अभिनेता/अभिनेत्री | स्क्रीन नाम / भूमिका |
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नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी | कॉस्टाओ फर्नांडिस (मुख्य भूमिका) |
प्रिया बापट | मारिया फर्नांडिस (कॉस्टाओ की पत्नी) |
किशोर कुमार जी | डी’मेलो (मुख्य प्रतिद्वंद्वी) |
हुसैन दलाल | पीटर (कॉस्टाओ का सहयोगी) |
माहिका शर्मा | कैसेंड्रा (महत्वपूर्ण सहायक भूमिका) |
गगन देव रिआर | सीबीआई अधिकारी नारंग |
रवि शंकर जैसवाल | मुखबिर |
दिविना कोलाको | सहायक भूमिका |
अर्जुन कुमार श्रीवास्तव | सहायक भूमिका |
दिलकश खान | गुंडा |
क्रिएटिव टीम
भूमिका | नाम |
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निर्देशक | सेजल शाह |
लेखक | भावेश मंडालिया, मेघना श्रीवास्तव |
निर्माता | विनोद भानुशाली, कमलेश भानुशाली, भावेश मंडालिया, सेजल शाह, श्याम सुंदर, फैज़ुद्दीन सिद्दीकी |
छायाकार | रफे महमूद |
संपादक | उन्निकृष्णन पायूर परमेश्वरन |
स्टूडियो | भानुशाली स्टूडियोज, बॉम्बे फेबल्स मोशन पिक्चर्स, साइड हीरो एंटरटेनमेंट |
वितरक | ZEE5 |
निर्देशन और तकनीकी पक्ष
सेजल शाह का निर्देशन फिल्म को एक यथार्थवादी स्पर्श देता है। रफे महमूद की सिनेमैटोग्राफी गोवा के 90 के दशक के माहौल को जीवंत करती है। उन्नीकृष्णन पी.पी. की एडिटिंग फिल्म की गति को बनाए रखती है, हालांकि कुछ जगहों पर कहानी थोड़ी धीमी हो जाती है।
अभिनय की बारीकियाँ
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कोस्टाओ फर्नांडीस के किरदार में जान डाल दी है। उनकी आंखों में ईमानदारी और दृढ़ता साफ झलकती है। प्रिया बापट ने मारिया के किरदार में अच्छा समर्थन दिया है। हुसैन दलाल और किशोर कुमार जी ने अपने-अपने किरदारों में विश्वसनीयता लाई है।

संगीत और बैकग्राउंड स्कोर
अजय जयंती और केतन सोधा का संगीत फिल्म के मूड को सेट करता है। गाने कहानी में बाधा नहीं बनते, बल्कि उसे आगे बढ़ाते हैं। बैकग्राउंड स्कोर तनावपूर्ण दृश्यों में प्रभावी है। फिल्म को समीक्षकों से मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिली हैं। इंडिया टुडे की समीक्षा में कहा गया है कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी का प्रदर्शन शानदार है, लेकिन कहानी में कुछ जगहों पर गहराई की कमी है। फिल्म की रेटिंग 2.5/5 दी गई है।
Costao एक ईमानदार अफसर की प्रेरणादायक कहानी है, जो सिस्टम की भ्रष्टाचार से लड़ता है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी का प्रदर्शन फिल्म की जान है। हालांकि कहानी में कुछ जगहों पर गहराई की कमी है, लेकिन फिल्म देखने लायक है।
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