दादासाहब फालके: क्या आप जानते हैं कि अगर यह शख्स न होता, तो आज बॉलीवुड भी न होता?

दादासाहब फालके

दादासाहब फालके जीवनी: अगर आप भारतीय सिनेमा के पहले शोमैन को ढूंढ रहे हैं, तो आपको एक ऐसे शख्स की कहानी सुननी होगी जिसने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की नींव रखी। क्या आप जानते हैं कि अगर यह शख्स न होता, तो आज बॉलीवुड भी न होता? कल्पना कीजिए, एक ऐसा दौर जब भारत में लोग मनोरंजन के लिए रामलीला और नौटंकी देखते थे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि भारत की अपनी फिल्म इंडस्ट्री होगी! लेकिन एक इंसान था, जिसने इस सपने को हकीकत में बदला। जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘भारतीय सिनेमा के पिता’ कहे जाने वाले दादासाहब फालके की।

बचपन और शिक्षा:

9 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में जन्मे धुंधिराज गोविंद फाल्के (जो आगे चलकर दादा साहब फाल्के बने) का बचपन बेहद सामान्य था। कला और फोटोग्राफी में उनकी गहरी रुचि थी।

सिनेमा में आने की रुचि:

फाल्के ने बॉम्बे के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से पढ़ाई की और फोटोग्राफी, थिएटर, और विजुअल आर्ट्स में गहरी रुचि विकसित की।

भूमिका: जब एक तस्वीर ने बदल दी पूरी ज़िंदगी!

1900 के दशक की शुरुआत थी। दादासाहब फालके (धुंडीराज गोविंद फालके) एक कुशल चित्रकार, फोटोग्राफर और मुद्रक (प्रिंटर) थे। लेकिन उनका मन किसी और चीज़ में रमता था। एक दिन, जब उन्होंने एक विदेशी फिल्म द लाइफ ऑफ क्राइस्ट देखी, तो उनके मन में विचार आया – “अगर वे लोग अपने भगवान की कहानी पर्दे पर उतार सकते हैं, तो हम अपने रामायण और महाभारत को क्यों नहीं बना सकते?”

बस, फिर क्या था! फालके जी ने ठान लिया कि वे भारत की पहली फिल्म बनाएंगे।

संघर्ष और सिनेमा का पहला कदम!

अब बात आती है उस दौर की, जब फिल्म बनाना किसी अजूबे से कम नहीं था। पैसे नहीं थे, कैमरा नहीं था, एक्टर नहीं थे – लेकिन जुनून था!

  • उन्होंने अपनी बीवी से घर गिरवी रखने को कहा ताकि फिल्म के लिए पैसे जुटा सकें।
  • खुद लंदन गए फिल्म निर्माण की बारीकियां सीखने के लिए।
  • जब भारत लौटे तो किसी भी हीरोइन ने काम करने से मना कर दिया, तो एक मर्द (सालुंके) को रानी का रोल दिया।

और फिर 1913 में बनी – राजा हरिश्चंद्र, भारत की पहली साइलेंट (मूक) फिल्म!


राजा हरिश्चंद्रऔर भारतीय सिनेमा का जन्म!

3 मई 1913 को मुंबई के कोरोनेशन थिएटर में जब यह फिल्म दिखाई गई, तो लोग दंग रह गए! ये पहली बार था जब किसी ने भारतीय इतिहास और पौराणिक गाथाओं को पर्दे पर जीवंत होते देखा। दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।

जानते हैं?

  • राजा हरिश्चंद्रको बनाने में सिर्फ़ 15,000 रुपये लगे थे।
  • फिल्म 40 मिनट की थी और पूरी तरह से ब्लैक एंड व्हाइट थी।
  • लोग पहली बार पर्दे पर चलती-फिरती तस्वीरें देख रहे थे, वो भी भारतीय किरदारों के साथ!

फालके स्टूडियोज और भारतीय सिनेमा की नींव

‘राजा हरिश्चंद्र’ की सफलता के बाद, दादासाहब फालके ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने फालके स्टूडियोज खोला और एक के बाद एक शानदार फिल्में बनाईं।

उनकी कुछ प्रमुख फिल्में:

  • मोहिनी भस्मासुर (1913) – पहली भारतीय फिल्म जिसमें स्पेशल इफेक्ट्स का इस्तेमाल हुआ!
  • लंका दहन (1917) – इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ दिए!
  • कालिया मर्दन (1919) – जिसमें उनकी बेटी मंदाकिनी ने कृष्णा का रोल निभाया!
क्रमांकफिल्म का नामवर्ष
1राजा हरिश्चंद्र1913
2मोहिनी भास्मासुर1913
3सत्यवान सावित्री1914
4लंका दहन1917
5श्री कृष्ण जन्म1918
6कलिया मर्दन1919
7बुद्धदेव1923
8बालाजी निम्बारकर1926
9भक्त प्रहलाद1926
10भक्त सुदामा1927
11रूक्मिणी हरण1927
12रुक्मांगदा मोहिनी1927
13द्रौपदी वस्त्रहरण1927
14हनुमान जन्म1927
15नल दमयंती1927
16भक्त दामाजी1928
17परशुराम1928
18कुमारी मिल्ल्चे शुद्धिकरण1928
19श्रीकृष्ण शिष्टई1928
20काचा देवयानी1929
21चन्द्रहास1929
22मालती माधव1929
23मालविकाग्निमित्र1929
24वसंत सेना1929
25बोलती तपेली1929
26संत मीराबाई1929
27कबीर कमल1930
28सेतु बंधन1932
29गंगावतरण1937


फालके अवॉर्डऔर उनकी विरासत!

भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए, 1969 में भारत सरकार ने दादासाहब फालके अवॉर्डकी शुरुआत की। यह सम्मान हर साल भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन कलाकारों को दिया जाता है।

🎖️ पहला दादासाहब फालके अवॉर्ड मिला – देविका रानी को!

🎖️ अब तक इसे अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर, रजनीकांत, आशा भोंसले, और शाहरुख खान जैसे दिग्गजों को दिया जा चुका है।


बॉलीवुड के गॉडफादर को एक सलाम! 🙏

आज, जब हम 1000 करोड़ की फिल्मों की बात करते हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह सफर सिर्फ़ 15,000 रुपये से शुरू हुआ था। अगर दादासाहब फालके ने उस दिन सपना न देखा होता, तो शायद आज SRK, सलमान, या राजामौली का जादू देखने को नहीं मिलता! तो अगली बार जब कोई आपसे पूछे कि “भारतीय सिनेमा का बाप कौन है?” तो गर्व से कहना – दादासाहब फालके! 🎬


अब आपकी बारी!

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