ज़रा सोचिए – अमेरिका का राष्ट्रपति और ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बंदूकें लेकर दुश्मनों से दो-दो हाथ करते हुए जंगलों में भाग रहेहों। सुनने में पागलपन लगता है ना? Amazon Prime Video की नई एक्शन-कॉमेडी Heads of State कुछ ऐसा ही मजेदार धमाका परोसती है । और मजे की बात – इसमें हमारी देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा इन दो “राष्ट्राध्यक्षों” की सुरक्षा करती नज़र आती हैं! हॉलीवुड फिल्मों में भारतीय सितारों को आमतौर पर छोटे-मोटे रोल में देखा गया है, मगर ग्लोबल स्टार बन चुकी प्रियंका ने इस चलन को तोड़ा है और मेनस्ट्रीम एक्शन फिल्म में जॉन सीना व इदरीस एल्बा जैसे दिग्गजों के साथ मुख्य भूमिका निभा रही हैंभाई साहब, इतना सुनते ही मैंने फटाफट ये फिल्म देख डाली और अब आपसे उसी अंदाज़ में गपशप करने को तैयार हूँ।
दोस्तों, Heads of State, 2 जुलाई 2025 को Prime Video पर रिलीज़ हुई और चौंकाने वाली बात ये है कि रिलीज़ के 24 घंटे के भीतर ही ये प्राइम पर नंबर 1 ट्रेंडिंग मूवी बन गई। अब इससे अंदाज़ा लगा लीजिए कि इसमें ऐसा क्या खास मसाला है, जो दर्शकों को इतनी पसंद आ रही है! चलिए, बिना स्पॉइलर दिए आपको कहानी से लेकर एक्शन, कॉमेडी, अभिनय हर पहलू की रोचक झलक देते हैं – एकदम दोस्ताना स्टाइल में।
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Heads of State कहानी और सेटअप
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक रंगीन और अफरातफरी भरे सीन से – स्पेन के मशहूर टोमाटीना उत्सव के बीच MI6 एजेंट नोएल बिसेट (प्रियंका) एक सीक्रेट मिशन पर होती हैं। चंद मिनटों में ही हालात बिगड़ते हैं और नोएल घायल हो जाती है, जिससे लगता है कि कहानी अब दो बड़ी हस्तियों पर शिफ्ट हो गई है। ये दो हस्तियाँ हैं ब्रिटेन के प्राइम मिनिस्टर सैम क्लार्क (इद्रिस एल्बा) और अमेरिका के राष्ट्रपति विल डेरिंगर (जॉन सीना)। शुरुआती दृश्य से ही पता चल जाता है कि सैम और विल की बनती कम है – दोनों एक-दूसरे को ताने मारने से नहीं चूकते। सैम गंभीर और अनुभवी नेता हैं, वहीं विल पूर्व एक्शन फिल्म हीरो से राष्ट्रपति बने हैं, जिसे सैम दिल से गंभीरता से नहीं लेते। हँसी की बात ये है कि सैम भले सामने विल को हल्का समझते हों, पर छुपकर उसकी पुरानी एक्शन फिल्में देखकर इंजॉय भी करते हैं! इनकी खट्टी-मीठी नोंकझोंक चल ही रही होती है कि एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दोनों को साथ लाना पड़ता है।
स्थिति तब बिगड़ती है जब एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये नेता आपस में उलझ जाते हैं और उनके NATO समर्थित ऊर्जा पहल का अनाउंसमेंट हंगामे की भेंट चढ़ जाता है। पब्लिक इमेज संभालने के लिए दोनों को एक साथ Air Force One विमान से यात्रा करनी पड़ती है – और यहीं से शुरू होता है असली धमाल। अचानक उनके विमान पर हमला हो जाता है और जान के लाले पड़ जाते हैं। मजबूरन राष्ट्रपति डेरिंगर और PM क्लार्क को हवाई जहाज़ से पैराशूट के सहारे आपातकाल में कूदना पड़ता है। दोनों गिरते हैं बेलारूस की सीमा के पास घने जंगल में, जहां उन्हें ना सिर्फ अपनी जान बचाते हुए सुरक्षित ठिकाने तक पहुँचना है, बल्कि ये भी समझना है कि उन पर हमला किसने कराया है। परेशानी ये है कि इस साज़िश में कुछ अपने लोग भी दुश्मन निकले हैं – मतलब विश्वासघात का तड़का! अब ये अनचाही जोड़ी चारों तरफ से घात लगाए हथियारबंद गुर्गों से बचते-बचाते यूरोप भर में भागती है। इनका पीछा कर रहे हैं खतरनाक arms डीलर विक्टर ग्रादोव के दो सनकी हत्यारे – साशा और ओल्गा – जो किसी गेम के विलेन जैसे अतरंगी अंदाज़ में इन्हें मारने पर तुले हैं।
सिचुएशन को और दिलचस्प बना देती है नोएल बिसेट (प्रियंका), जो फिर से कहानी में प्रवेश करती है बतौर दोनों “हेड्स ऑफ स्टेट” की सुरक्षा ढाल। नोएल को खास तौर पर UK PM और US प्रेसिडेंट की रक्षा करने का टास्क दिया जाता है, और क्लार्क हैरान है क्योंकि नोएल के साथ उसका एक रूमानी अतीत रहा है। जी हाँ, मिशन के दौरान ये राज़ खुलता है कि सैम और नोएल कभी करीबी रहे हैं, जिससे कहानी में हल्का-फुल्का इमोशनल एंगल भी जुड़ जाता है। अब हालत ये है कि जान के दुश्मन पीछे पड़े हैं, अपने ही ऊपर वार कर रहे हैं, और दुनिया को अस्थिर करने की साजिश रची जा रही है। ऐसे में ये दो विपरीत स्वभाव वाले नेता एकमत होते हैं कि उन्हें विश्व शांति बचानी है और मिलकर दुश्मन का सामना करना है। लेकिन बड़ा सवाल – क्या ये अनोखी जोड़ी आपसी मनमुटाव भुलाकर दुनिया को बचा पाएगी? और क्या नोएल अपनी जान पर खेलकर इन दोनों की रक्षा कर सकेगी? इन सारे सवालों के जवाब फिल्म में भरपूर एक्शन और ट्विस्ट के साथ मिलेंगे… पर उसके लिए आपको खुद फिल्म देखनी होगी!
(सोचिए ज़रा, अगर हकीकत में दो देश के नेता ऐसी मुसीबत में फँस जाएँ, तो उनका क्या हाल होगा? यही थ्रिल इस कहानी को मजेदार बनाता है!)
मसाला एक्शन और कॉमेडी का तड़का
डायरेक्टर इल्या नाइशुलर ने इस फिल्म में एक्शन और कॉमेडी का जबरदस्त मिक्स तैयार किया है – मसालेदार हिंदी फिल्म जैसा अंदाज़, मगर हॉलीवुड स्टाइल में। कुछ सीक्वेंस इतने ओवर-द-टॉप हैं कि आप कहेंगे “ये तो बहुत ही फिल्मी है!”, लेकिन सच मानिए, वही इसकी खासियत है। फिल्म का तेज़ रफ्तार पेस ऐसा है कि दो घंटे कब निकल जाएंगे पता नहीं चलता। एक के बाद एक घटनाएं होती जाती हैं – हवाई जहाज़ पर हमला, जंगलों में चेज़, कारों और हेलिकॉप्टरों की दौड़, हाथापाई और गोलियों की बरसात – आपको सोचने का मौका ही नहीं मिलता। एक्शन सीक्वेंस सच में हाई-ऑक्टेन लेवल के हैं और साँसें थमा देने वाले करतबों से भरे हुए हैं। लड़ाकू विमान की डॉगफाइट हो या तेज़ रफ्तार ट्रेन पर फिल्माया गया फाइट सीन – हर एक एक्शन मोमेंट धमाकेदार है जिसने मुझे बतौर दर्शक ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। कुल मिलाकर, बढ़िया कोरियोग्राफ किए हुए स्टंट और बड़े पैमाने के एक्शन दृश्यों की बदौलत फिल्म एक बड़ी मनोरंजक राइड बन जाती है, जिसमें दिमाग लगाने की ज़्यादा जरूरत नहीं है।
अब जहाँ एक्शन है, वहाँ कॉमेडी का तड़का भी भरपूर है। Heads of State देखने में ऐसा एहसास देती है जैसे 90 के दशक की बड़ी एक्शन-कॉमेडी फिल्मों का पुराना मज़ा लौट आया हो। उस दौर की फिल्मों की तरह यहां हँसी-मज़ाक, दोस्ती और धमाके सब मौजूद हैं। विल (जॉन सीना) और सैम (इद्रिस एल्बा) के बीच लगातार नोकझोंक चलती रहती है, जो कई बार आपको ज़ोर से हँसाएगी। इनके बीच कई इनसाइड जोक्स चलते हैं – कभी NATO पर खिंचाई, तो कभी फिश-ऐंड-चिप्स वाले इंग्लिश खाने पर चुटकी, और यहाँ तक कि जॉन सीना के किरदार की अंडरवियर मॉडलिंग के दिनों का भी मज़ाक उड़ाया जाता है। राजनीतिक माहौल पर व्यंग्य करते हुए भी फिल्म का हास्य सरल और मजेदार बना रहता है। मजे की बात ये है कि फिल्म में पॉलिटिक्स की बातें हैं लेकिन इतनी हल्की-फुल्की अंदाज़ में कि सिर के ऊपर से कुछ नहीं जाता। ह्यूमर बड़ा स्मार्ट है, पर ओवर नहीं होता – कई सीन्स में आपको हँसाने के लिए छोटे-छोटे रेफरेंस डाल दिए गए हैं, जो बातचीत को चटपटा बनाते हैं। मसलन, दोनों लीडर एक-दूसरे के ऊपर व्यंग्य करते हुए भी संकट की घड़ी में साथ आ ही जाते हैं – इस Odd Couple की केमिस्ट्री ही हंसी का मुख्य स्रोत है। कुछ एक दृश्य तो ऐसे हैं कि PM क्लार्क अपनी ही बेवकूफी से स्मोक बम खुद के मुँह पर फोड़ लेता है या Noel (प्रियंका) हर पल कोई न कोई फनी वन-लाइनर मारती है – ऐसे पलों पर आपको भी लगेगा कि “ये जोड़ी भले ही सिरफिरी है, पर दिल जीत लेती है!”
इस फिल्म का स्वाद बिलकुल उस चटपटे कॉमिक बडी-मूवी जैसा है, जहां दो एकदम अलग मिजाज के लोग हालात के चलते टीम बनाते हैं। आपने शायद ‘Olympus Has Fallen’ या ‘White House Down’ जैसी फिल्में देखी हों जहां अमेरिकी राष्ट्रपति खतरों का सामना करते हैं – बस समझ लीजिए ये उसी थीम को एक कदम आगे ले जाती है। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां दो देश के नेता एक साथ मैदान में कूद पड़े हैं, तो डबल धमाल है! एक ओर राष्ट्राध्यक्षों वाली गरिमा, ऊपर से उनकी आपसी तू-तू मैं-मैं – कॉमेडी का स्तर खुद-ब-खुद बढ़ जाता है। कई जगह फिल्म जानबूझकर क्लिशे (पारंपरिक फॉर्मूले) अपनाती है ताकि मज़ा आए – और सच कहूँ तो यहां क्लिशे परोसने में भी क्रिएटिविटी दिखाई गई है। चाहे दोनों लीड का असमंजस भरा ब्रोमांस हो या ऐक्शन दृश्यों के बीच मिलने वाले हास्यास्पद संवाद – आप बोर नहीं होंगे। इसीलिए, Heads of State दिमाग को घर पर रखकर पॉपकॉर्न के साथ इंजॉय करने वाली फिल्म की केटिगरी में बिल्कुल फिट बैठती है। 🍿
Heads of State निर्देशन तथा तकनीकी पक्ष
इल्या नाइशुलर का निर्देशन काबिल-ए-तारीफ है, क्योंकि उन्होंने इस अतरंगी कांसेप्ट को संभालकर एक बैलेंस बनाया है – फिल्म कभी सीरियस एक्शन थ्रिलर महसूस होती है, तो कभी मजेदार राजनीतिक व्यंग्य का रंग ले लेती है। यह संतुलन बनाना आसान नहीं था, लेकिन नैशुलर ने जॉन सीना की कॉमिक टाइमिंग, इद्रिस एल्बा की संजीदगी और प्रियंका की एक्शन प्रेजेंस – तीनों को बखूबी कैरी कराया है एक ही मूवी में। एक सीन में आप एड्रेनालिन से भरा एक्शन देख रहे होते हैं और अगले ही पल कोई हल्का-फुल्का मजाक आपको हंसा देता है। निर्देशक ने सुनिश्चित किया है कि फिल्म खुद को बहुत गंभीरता से नहीं लेती – बस उतनी ही गंभीर रहती है जितनी कहानी की बुनियाद के लिए ज़रूरी है, बाकी समय आपको फुल ऑन मनोरंजन का मौका मिलता है।

Heads of State सिनेमाटोग्राफी
और तकनीकी पक्ष की बात करें तो फिल्म काफी स्टाइलिश है। सिनेमैटोग्राफर बेन डेविस ने एक्शन दृश्यों को बड़े शानदार और रोमांचक तरीके से शूट किया है – चाहे वह हवाई जहाज़ का एक्सप्लोजन हो या जंगलों में छुपने-भागने के सीन, विज़ुअल इफ़ेक्ट और कैमरा वर्क जोरदार हैं) में फिल्माया गया है, तो स्केल काफी बड़ा लगता है। कई शॉट्स में आपको वास्तविक प्रधानंमत्री/राष्ट्रपति वाली भव्यता और देशभक्ति का फील देने की कोशिश की गई है – बैकग्राउंड में लहराते झंडे, स्पीच देते नेता वगैरह। वहीं एक्शन वाले हिस्सों में कैमरा कभी हाथ में बंदूक थामे भागते लीडर्स के क्लोज़-अप दिखाता है तो कभी ड्रोन शॉट से पूरे बवंडर को कैप्चर करता है। कुल मिलाकर, एक आधुनिक स्पाई-एक्शन फिल्म को जितना विजुअली स्टनिंग होना चाहिए, ये फिल्म उतनी ही खूबसूरती से शूट की गई है।
बैकग्राउंड स्कोर पर आएँ तोComposer स्टीवन प्राइस का म्यूज़िक कहानी के मूड को सूट करता है – जहां एक्शन है वहाँ थंपिंग म्यूज़िक, जहां इमोशनल अंडरकरंट है वहाँ हल्का सॉफ्ट टच। फिल्म में गीत तो हैं नहीं (कोई रोमांटिक गाना डाला भी नहीं गया है, शुक्र है!), मगर बैकग्राउंड म्यूज़िक ने खालीपन महसूस नहीं होने दिया। कई सिनेमैटिक सीन प्राइस के स्कोर की बदौलत ज्यादा प्रभावी लगते हैं – जैसे एक सीक्वेंस में जब हमारे दोनों हीरो भारी मुसीबत में फँसे होते हैं, तब बैकग्राउंड में मद्धम देशभक्ति भरा थीम म्यूज़िक बजता है जो सीन को खास बना देता है। एक दूसरे सीन में कॉमिक मूड चल रहा होता है तो हल्का-फुल्का ब्रास और ड्रमबीट वाला म्यूज़िक सुनने को मिलता है। यानी संगीत ने एक्शन के डोज़ को और गहरा बनाया है।
Heads of State लेखन और स्क्रिप्ट
की बात करें तो कहानी भले ही किसी अवॉर्ड जीतने वाली गहराई वाली नहीं है, लेकिन मजेदारDialogues और सिचुएशन के सहारे फिल्म आपको बांधे रखती है। स्क्रिप्ट राइटर्स जोश ऐपलबॉम, आंद्रे नेमेक और हैरिसन क्वेरी ने मिलकर एक सीधी-सादी लेकिन मनोरंजक कहानी तैयार की है। हाँ, साजिश वाला एंगल (जैसे NATO की कहानी, न्यूक्लियर साइंटिस्ट का बदला आदि) को अगर थोड़ा और पेचीदा बनाते तो कहानी ज्यादा परतदार हो सकती थी। वर्तमान रूप में विलेन का प्लॉट काफी सीधा-सादा है – क्लिशे बदले की कहानी – जिसमें कोई खास सरप्राइज़ एलिमेंट नहीं है। लेकिन उन्होंने समझदारी ये दिखाई कि फिल्म को टू-द-पॉइंट रखा, अनावश्यक सब-प्लॉट में भटकने नहीं दिया। इसी का नतीजा है कि फिल्म का नैरेशन तेज़ रफ्तार है और मनोरंजन में कमी नहीं आती। खासतौर पर जब कुछ मुख्य कैरेक्टर कहानी से गायब हो जाते हैं (जैसे प्रियंका का कैरेक्टर बीच में करीब घंटे भर नहीं दिखता), तो लेखकगण एक बढ़िया ट्रिक अपनाते हैं – बाद में एक स्नैपी मॉन्टाज़ के जरिए फ्लैशबैक में दिखा देते हैं कि वो इतने समय क्या कर रहे थे। इस तरकीब से दर्शक कंफ्यूज़ भी नहीं होते और कहानी की गति भी बनी रहती है।
एक और बात जो नोटिस करने लायक है, वो ये कि फिल्म अपने आपको ज़्यादा गंभीरता से नहीं लेती। यह कोई राजनीतिक संदेश देने या अवॉर्ड जीतने के इरादे से नहीं बनी है – खुद फिल्म भी मानती है कि यह बस एक पॉपकॉर्न एंटरटेनर है। निर्देशक ने भी एक इंटरव्यू में इशारा किया था (और फिल्म देखकर भी महसूस होता है) कि उनका मकसद दर्शकों को दो घंटे खूब हँसी-एक्शन का आनंद देना था, न कि तर्क-वितर्क में उलझाना। और ये बात तकनीकी टीम से लेकर कलाकारों तक सबने समझी है, तभी फिल्म का हर पहलू मनोरंजन पर फोकस्ड रहता है।
हाँ, ये ज़रूर कहूँगा कि Amazon Studios ने इस फिल्म को सीधे OTT पर रिलीज़ कर थोड़ा सुरक्षित दाँव खेला है। इतनी बड़ी स्टारकास्ट वाली, भारी-भरकम एक्शन वाली फिल्म आमतौर पर थिएटर में बड़ा कलेक्शन कर सकती थी, लेकिन Amazon ने शायद बदली हुई मार्केट को देखते हुए इसे थियेटर की बजाय अपने प्राइम वीडियो प्लेटफ़ॉर्म पर ही उतारा। कुछ समीक्षकों का मानना है कि जॉन सीना, इद्रिस एल्बा और प्रियंका जैसे ग्लोबल सितारों के होने के बावजूद Amazon का थिएट्रिकल रिलीज़ से बचना समझ से परे है। मैं 개인 तौर पर सोचता हूँ, सिनेमाघर में बड़े परदे पर इतने धमाकेदार एक्शन सीक्वेंस देखने का मज़ा अलग होता – हालांकि घर बैठे आराम से देखना भी बुरा नहीं है! संभव है कि Amazon ने इसे ज्यादा से ज्यादा ग्लोबल ऑडियंस तक فورन पहुंचाने के लिए सीधे स्ट्रीमिंग का रास्ता चुना हो। जो भी हो, तकनीकी स्तर पर फिल्म सिनेमाई अनुभव देती है – आपको लगेगा नहीं कि कोई टीवी मूवी देख रहे हैं। प्रोडक्शन क्वालिटी टॉप-नॉच है और VFX भी अच्छे हैं (हाँ, 1-2 सीन्स में CGI थोड़ा नकली लगता है, पर अधिकांश जगह ठीक ठाक है)। कुल मिलाकर, निर्देशन और तकनीकी टीम ने मिलकर एक चमकदार, तेज-तर्रार एक्शन कॉमेडी बनाई है जो आपको निराश नहीं करेगी।
Heads of State कलाकारों का प्रदर्शन
अब बात करें ऐक्टिंग और परफॉर्मेंस की – क्योंकि ऐक्शन और कॉमेडी तभी जमती है जब ऐक्टर्स जान लगाकर परफॉर्म करें। इस मामले में जॉन सीना और इद्रिस एल्बा की जोड़ी इस फिल्म की जान है। दोनों की केमिस्ट्री एकदम नैचुरल लगती है – मानो वाकई दो ताकतवर लोग हैं जो ऊपर से एक-दूसरे को नीचा दिखाना चाहते हैं पर अंदर कहीं सम्मान भी है। जॉन सीना ने अपने राष्ट्रपति विल डेरिंगर के किरदार में वही अंदाज़ डाला है जिसके लिए वो मशहूर हैं: माचो एक्शन हीरो होने के साथ प्यारा-सा goofiness। उनकी कॉमिक टाइमिंग लाजवाब है – कई सीन्स में उनका हास्यास्पद गंभीर चेहरा देखकर आप हँस पड़ते हैं (जैसे एक जगह वो छाती ठोकते हुए खुद को असली हीरो साबित करने की कोशिश करते हैं और तुरंत कोई गड़बड़ हो जाती है, क्लासिक सीना स्टाइल कॉमेडी!). ऐक्शन दृश्यों में जॉन सीना जानबूझकर थोड़ा नौसिखिया टाइप हरकतें करते दिखते हैं, क्योंकि कहानी के अनुसार उनका कैरेक्टर असल युद्ध कौशल में उतना माहिर नहीं (आखिर पूर्व फिल्म स्टार हैं) – और ये अनाड़ीपन उन्होंने बड़ी अच्छी तरह निभाया है।
वहीं इद्रिस एल्बा अपने सैम क्लार्क के रोल में बिल्कुल जँच गए हैं। एक अनुभवी पूर्व-सैनिक कमांडो से प्रधानमंत्री बने व्यक्ति के किरदार में इद्रिस ने गंभीरता, थकान, जिम्मेदारी – सबका मेल दिखाया है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग डिलीवरी में एक रॉयल ठहराव है, जो ये यकीन दिलाता है कि हाँ, ये शख्स देश चलाने का तजुर्बा रखता है। लेकिन कमाल ये है कि इतने सीरियस कैरेक्टर से भी इद्रिस ने कॉमेडी निकलवाई है – वो भी बिना हँसे, सिर्फ अपने रिएक्शन से। उदाहरण के तौर पर, जब विल (सीना) कोई बेवकूफी भरी हरकत करता है, तो सैम के चेहरे पर उभरती “भाई कहाँ फँस गया मैं” वाली शक्ल देखकर आप ठिठक कर हँस पड़ते हैं। एल्बा के हाव-भाव कई जगह “bitch, please” टाइप सख्त रहते हैं जो स्थिति की खिलवाड़ को और मजेदार बना देते हैं। एक्शन सीन में इद्रिस बिलकुल वास्तविक कमांडो की तरह डील करते हैं – चतुर, धीरज के साथ – तो उनकी संजीदगी और जॉन सीना की नादानी का कॉम्बो ज़बरदस्त केमिस्ट्री पैदा करता है। इन दोनों एक्टर्स ने अपने-अपने हिस्से को इतनी मजबूती से जिया है कि आपको यकीन हो जाता है वाकई ये दो ताकतवर लीडर हैं।

अब आते हैं अपनी देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा जोनस पर – जिसे देखने के लिए हम भारतीय दर्शक खासे उत्साहित रहते हैं। इस फिल्म में प्रियंका ने MI6 एजेंट नोएल बिसेट का रोल निभाया है, और सच कहूँ तो उन्होंने दिल खुश कर दिया! 💫 एक्शन के मामले में प्रियंका किसी भी तरह दोनो हीरोज़ से कम नहीं हैं – बल्कि कई दृश्यों में तो वो अकेली दम पर विलेन के छक्के छुड़ाती नजर आती हैं। नोएल के रूप में प्रियंका तेज़, आत्मविश्वासी और पूरी तरह अपने कैरेक्टर में डूबी हुई लगती हैं। फिल्म की शुरुआत में पहले ही सीन में उनकी धमाकेदार एंट्री होती है (टमाटर फेंकते त्योहार के बीच दुश्मनों को धराशायी करते हुए) – इस ओपनिंग से ही पता चल जाता है कि प्रियंका का एक्शन अवतार काफी स्टाइलिश और स्मार्ट है। हालांकि शुरुआती सीक्वेंस के बाद प्लॉट ऐसा मोड़ लेता है कि प्रियंका थोड़ी देर के लिए स्क्रीन से गायब रहती हैं, लेकिन इंटरवल के बाद जैसे ही उनकी दोबारा एंट्री होती है, पूरी ताकत के साथ होती है। वो गोलियाँ चलाती हैं, हैंड-टू-हैंड कॉम्बैट करती हैं, छलांगें लगाती हैं – और ये सब करते हुए भी उनके चेहरे पर उस मिशन की गम्भीरता झलकती है। एक फाइट सीक्वेंस में प्रियंका बनाम विलेन गैंग का मुकाबला तो खास आकर्षण है – जिसमें प्रियंका के किरदार Noel बड़े स्टाइल में बदमाशों को धूल चटाते हैं। इन दृश्यों को देखकर लगता है कि प्रियंका वाकई एक शानदार फीमेल ऐक्शन स्टार की छवि को मजबूती दे रही हैं। उनकी और इद्रिस एल्बा की जोड़ी भी पर्दे पर प्रभावित करती है – दोनों के बीच बिना ज़्यादा मेलोड्रामा के एक सहज साइलेंट केमिस्ट्री नजर आती है, खासकर जब पुरानी यादों का जिक्र आता है तो हल्का-सा भावनात्मक अंडरटोन महसूस होता है। कुल मिलाकर प्रियंका ने ये साबित कर दिया कि वे हॉलीवुड की बड़ी ऐक्शन फिल्म में अपने दम पर छाप छोड़ सकती हैं – हमें तो उन पर गर्व महसूस होता है! 🙌
सहायक कलाकारों की बात करें तो फिल्म में कई जाने-पहचाने चेहरे छोटे मगर अहम रोल में दिखते हैं। मसलन, ब्रिटिश एक्टर पैडी कॉनसिडाइन ने विलेन विक्टर ग्रादोव का किरदार निभाया है – विक्टर के रूप में पैडी एक ठंडे बदले की आग में जले इंसान की तरह दिखे हैं। उनकी आँखों और बॉडी लैंग्वेज से ही दुश्मनी टपकती है। स्टीफ़न रूट फिल्म में एक हॅकर टाइप कैरेक्टर में हैं (ज्यादा विवरण नहीं दूँगा वरना प्लॉट पता चल जाएगा) – स्टीफ़न अनुभवी अभिनेता हैं और जहां भी होते हैं अपना असर छोड़ते हैं, यहां भी एक डबल-क्रॉसिंग किरदार में उन्होंने कमाल किया है। राष्ट्रपति की मुख्य एडवाइज़र के रोल में सारा नाइल्स हैं, जो हर सीन में अपने “बॉस, प्लीज़!” एक्सप्रेशन से हँसाती भी हैं और एक सशक्तPresence भी देती हैं। इसके अलावा जैक क्वैड का एक छोटा सा किरदार है एक CIA सेफ़हाउस इंचार्ज का – जैक तो वैसे The Boys सीरीज और Novocaine फिल्म से जाने जाते हैं, यहां वे कुछ ही दृश्यों में नजर आते हैं मगर इतनी जोर से हॅम अभिनय (बढ़ा-चढ़ा कर एक्ट) करते हैं कि आखिरी में उनके हिस्से एक सरप्राइज़ एंड-क्रेडिट सीन भी आ जाता है! बाकी कलाकार जैसे कार्ला गुगीनो, रिचर्ड कॉयल, एलेक्ज़ांडर कुझनेत्सोव, कटरीना डर्डन आदि ने भी अपने-अपने रोल को ठीकठाक निभाया है और कहानी में आवश्यक मात्रा में योगदान दिया है। कुल मिलाकर सपोर्टिंग कास्ट ने मुख्य कलाकारों को अच्छा सपोर्ट दिया, जिससे फिल्म समग्र रूप से संतुलित लगी।
एक मजेदार फैक्ट यह भी है कि जॉन सीना और इद्रिस एल्बा पहले भी साथ काम कर चुके हैं, 2021 की DC सुपरहीरो फिल्म The Suicide Squad में। वहां भी उनकी केमिस्ट्री देखने को मिली थी (हालांकि कैरेक्टर अलग थे)। शायद उसी फिल्म में साथ काम करने के अनुभव का फायदा यहां उनकी बॉन्डिंग को वास्तविक बनाने में हुआ हो। प्रियंका के लिए यह फिल्म हॉलीवुड में अब तक का सबसे एक्शन-प्रधान रोल कहा जा सकता है – इससे पहले उन्हें हमने ‘Quantico’ सीरीज में FBI एजन्ट के रूप में टीवी पर एक्शन करते देखा था, और कुछ हॉलीवुड फिल्मों में सपोर्टिंग रोल किए थे। Heads of State में उन्होंने सिद्ध किया कि वे मेनस्ट्रीम एक्शन-कॉमेडी को अपने कंधों पर संभाल सकती हैं। हमें पूरी उम्मीद है आगे उन्हें और भी बड़े-बड़े एक्शन प्रोजेक्ट्स में लीड रोल मिलेंगे।
कमियाँ और कमजोर कड़ियाँ
जहाँ फिल्म मनोरंजन में भरपूर है, वहीं कुछ कमजोर पहलू भी हैं जिन पर नज़र डालना ज़रूरी है। सबसे पहली बात – कहानी में नयापन कम है और क्लाइमैक्स काफी प्रेडिक्टेबल लगता है। दूसरे हाफ में जाते-जाते आपको अंदाज़ा हो जाता है कि आगे क्या होने वाला है, जिससे शुरुआती हिस्से का जोश थोड़ा कम होने लगता है। सच कहें तो प्लॉट वही पुरानी फॉर्मूला है: दो विपरीत लोग साथ आते हैं, देश पर खतरा, बड़ा विलेन, अंत में भिड़ंत वगैरह। तो आखिरी 20-25 मिनट में कहानी धीमी पड़ जाती है और सरप्राइज़ एलिमेंट की कमी खलती है। क्लाइमेक्स तक पहुँचते-पहुँचते आप नतीजा भांप लेते हैं, जिससे टेंशन घट जाती है – कुछ दर्शकों को ये हिस्सा थोड़ा बनावटी या बोरिंग भी लग सकता है।
स्क्रिप्ट में गहराई की कमी भी नोट की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय साजिश, शांति बनाम युद्ध जैसे गंभीर मुद्दों को फिल्म ने छुआ जरूर है लेकिन बहुत सतही तरीके से। NATO वाला एंगल, न्यूक्लियर साइंटिस्ट का सब-प्लॉट – ये सब कहानी में हैं पर इनपर ज़्यादा दिमाग नहीं लगाया गया है। यदि इन पहलुओं को थोड़ा गंभीरता से विकसित किया जाता तो कहानी और पेचीदा तथा थ्रिलिंग हो सकती थी। पर यहाँ लेखक द्वयी (और निर्देशक) ने साफ चुना कि मनोरंजन पहले, तर्क बाद में। इसका फायदा ये हुआ कि फिल्म मजेदार बनी, लेकिन नुकसान ये कि जो लोग सॉलिड कहानी पसंद करते हैं उन्हें प्लॉट थोड़ा हल्का लग सकता है।
फिल्म की टोन कुछ जगह बेतरतीब सी लग सकती है – मतलब एक सीन बहुत हिंसक है, अगला अचानक से हास्य में बदल जाता है। अधिकतर ये बैलेंस काम करता है, पर 1-2 बार टोन शिफ्ट अटपटा लगा जैसे कि “अभी-अभी तो इमोशनल सीन था, अचानक पंचलाइन?”। लेकिन फिर, ये एक एक्शन-कॉमेडी है तो इसे बहुत बड़ी कमी भी नहीं कहेंगे, शायद जॉनर का ही हिस्सा है।
कैरेक्टर डेवलपमेंट की बात करें तो विलेन विक्टर ग्रादोव को थोड़ा और खतरनाक दिखाया जा सकता था। उसका बैकस्टोरी केवल एक संवाद में निपटा दिया – उसके बेटे के साथ जो हुआ (स्पॉइलर नहीं देंगे) – लेकिन वो इमोशनल पंच स्क्रीन पर उतना महसूस नहीं होता। इसी तरह प्रियंका (नोएल) और इद्रिस (सैम) के रोमांटिक ट्रैक को बड़ी जल्दी में समेट दिया गया। उनके अतीत का जिक्र तो हुआ है पर बस सतही तौर पर; इस एंगल में थोड़ा और भावनात्मक गहराई डाली जाती तो कहानी को एक लेयर और मिल सकती थी । फिल्म ने फोकस जानबूझकर एक्शन और कॉमेडी पर रखा, इसलिए शायद इमोशनल सब-प्लॉट को मिनिमल रखा, मगर कुछ दर्शक महसूस करेंगे कि नोएल-सैम के रिश्ते पर और काम हो सकता था।
कुछेक एक्शन सीन में सीजीआई/स्पेशल इफ़ेक्ट हल्के नज़र आते हैं। बजट बड़ा रहा होगा, पर 1-2 सीक्वेंस (जैसे प्लेन क्रैश) में आपको लगेगा ग्राफिक्स और बेहतर हो सकते थे। हालांकि जादातर जगह एक्शन इतना तेज है कि ये कमियां छिप जाती हैं, पर बारीक नजर वालों को दिख जाएंगी।
अंत में, जिस तरह की फिल्म है उसमें लॉजिक की कमी को भी आप गिना सकते हैं – कई बार सिचुएशन हकीकत से परे लगते हैं। लेकिन मुझे लगता है मेकर्स ने खुद intentionally इसे exaggerated रखा है ताकि फ़न एलिमेंट बना रहे। इसलिए लॉजिक वाला पहलू खटकता तो है, पर फिल्म की टोन देखकर माफ़ किया जा सकता है।
क्रिटिक्स की राय भी इस फिल्म पर थोड़ी मिली-जुली रही है। रॉटेन टोमाटोज़ जैसे वेबसाइट पर करीब 60-70% के बीच इसका क्रिटिक स्कोर घूम रहा है (इस वक्त लगभग 68% क्रिटिक्स ने इसे पॉज़िटिव कहा है) । यानी समीक्षकों के लिए ये एवरेज एंटरटेनर है – न बहुत बेहतरीन, न बहुत बेकार। मगर मजेदार बात ये है कि ऑडियंस स्कोर 80% से भी ऊपर है, जो बताता है कि आम दर्शकों को फिल्म काफी पसंद आ रही है। साफ है, ये जनता के मनोरंजन के लिए बनाई मसाला फिल्म है, जिसे क्रिटिक अपने चश्मे से देखेंगे तो कमियाँ निकालेंगे ही। हमारी सलाह यही है – अगर आप तर्क-वर्ग छोड़कर मनोरंजन के मूड में हैं, तो ये फिल्म आपको बिल्कुल निराश नहीं करेगी। लेकिन अगर आप बहुत वास्तविकता या मौलिक कहानी की तलाश में हैं, तो शायद कुछ एलिमेंट आपको सरल/प्रेडिक्टेबल लग सकते हैं।
निष्कर्ष
‘Heads of State’ कुल मिलाकर एक फुल पैसा-वसूल मनोरंजक राइड है। इसमें बड़े सितारों का ग्लैमर है, जोरदार एक्शन है, हास्य के पंच हैं और थोड़ी-बहुत देशभक्ति/भावना भी छूने की कोशिश है – यानि एंटरटेनमेंट का सही मिश्रण मौजूद है। यह फिल्म उस दोस्ती की याद दिलाती है जो मुश्किल हालात में बन जाती है, भले शुरुआत में लोग एक-दूसरे के दुश्मन समान हों। जॉन सीना और इद्रिस एल्बा की अनोखी जोड़ी आपको हँसाती भी है और अंतिम मिनट पर तालियां बजाने पर मजबूर भी करती है। प्रियंका चोपड़ा ने ग्लोबल एक्शन स्टार के तौर पर अपना लोहा मनवाया है – भारतीय दर्शकों के लिए उन्हें ऐसे बदमाश विलन्स की धुलाई करते देखना गर्व और मज़ा, दोनों की बात है।
हाँ, फिल्म गंभीरता से कोई संदेश देने नहीं जाती, पर अंत में हल्का सा मैसेज दे जाती है कि एकता और सहयोग से बड़ी से बड़ी मुश्किल को हराया जा सकता है (चाहे वो दो देशों के बीच की दोस्ती हो या फिर दो बिलकुल अलग इंसानों के बीच की)। जिस तरह से विल और सैम अपने मतभेद भुलाकर टीम बनते हैं, वो real-world नेताओं के लिए एक मजाकिया टोकन सबक जैसा भी है – “देखा, साथ मिलकर चलोगे तो क्या कुछ नहीं कर सकते!” ।
अगर आप एक्शन और कॉमेडी के शौकीन हैं, तो ये फिल्म वीकेंड की शाम के लिए बढ़िया चॉइस है – पॉपकॉर्न उठाइए, दोस्तों/परिवार के साथ बैठिए और दो घंटे का सफर शुरू करिए इस ताबड़तोड़ एडवेंचर पर। फिल्म का अंत सीक्वल की गुंजाइश भी छोड़ता है, तो संभव है आगे चलकर इस अतरंगी जोड़ी को और मिशनों पर देखें। मैंने तो ख़ूब मज़े ले लिए, अब बारी आपकी है।
तो, क्या आपने ‘Heads of State’ देखी? अगर हाँ, तो बताइए आपको अमेरिका के राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधान मंत्री की ये धमाकेदार जोड़ी कैसी लगी? और अगर नहीं देखी, तो सोच क्या रहे हैं – Prime Video पर उपलब्ध है, ट्रेलर नीचे लिंक है, एक बार जरूर आज़माकर देखें। अंत में हम आपसे यही पूछना चाहेंगे: सोचिए अगर हकीकत में हमारे देश के नेता ऐसी मुसीबत में फँस जाएँ, तो क्या वे भी विल और सैम की तरह बहादुरी और हास्यभाव दिखा पाएंगे? अपनी राय कमेंट में ज़रूर बताएं!