Marlon Brando : की कहानी: एक महान अभिनेता की विवादों, दुखों और क्रांति से भरी जिंदगी क्या आपने कभी सोचा है कि जिस अभिनेता ने ‘द गॉडफादर’ में अंडरवर्ल्ड डॉन का किरदार निभाकर दुनिया भर में अभिनय की नई परिभाषा गढ़ी, उसकी अपनी असल जिंदगी कितनी उलझनों और दर्द से भरी रही होगी? हॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता Marlon Brando का नाम जब भी लिया जाता है, तो सबसे पहले याद आती है उनकी सधी हुई आवाज़, गंभीर आंखें और हर किरदार में डूब जाने की काबिलियत। लेकिन उनके करियर की बुलंदियों के पीछे छिपी है एक बेहद दुखद और जटिल जिंदगी, जिसने उन्हें इंसान से कलाकार और फिर एक क्रांतिकारी में तब्दील कर दिया।
Marlon Brando की जिंदगी सिर्फ एक स्टार की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसे इंसान की दास्तान है जिसने बचपन में शोषण झेला, परिवार की बर्बादी देखी, करियर में असफलताएं झेली, और फिर भी एक ऐसा किरदार निभाया जिसने पूरी दुनिया में उनके अभिनय को अमर बना दिया। इस लेख में हम जानेंगे मार्लन ब्रैंडो की जिंदगी के वो अनछुए पहलू, जो उन्हें इंसानी कमज़ोरियों और महानता दोनों का प्रतीक बनाते हैं।

Table of Contents
संघर्ष से भरा बचपन और परिवारिक ज़ख्म
Marlon Brando का जन्म 3 अप्रैल 1924 को अमेरिका के नेब्रास्का राज्य में हुआ। उनका बचपन एक सामान्य नहीं, बल्कि बेहद त्रासदीपूर्ण था। उनके पिता शराबी और आक्रामक थे, जबकि मां भी शराब की लत में डूबी हुई थीं। इस माहौल ने उनके कोमल मन पर गहरा असर डाला।
महज 4 साल की उम्र में ही ब्रैंडो को अपनी टीचर द्वारा यौन शोषण का सामना करना पड़ा। यह कड़वा अनुभव उन्हें ताउम्र सालता रहा।
जब वे 11 साल के थे, उनके माता-पिता अलग हो गए। इसके बाद उनकी मां ने अकेले उनकी परवरिश की।
15 साल की उम्र में वे एक थिएटर की लाइब्रेरी में सहायक शिक्षक की नौकरी करने लगे।
अभिनय में उनकी रुचि मिमिक्री और दोस्तों की नकल उतारने से शुरू हुई, लेकिन स्कूल और आर्मी से निकाले जाने के बाद उन्होंने एक्टिंग को करियर बनाने का मन बनाया।
न्यूयॉर्क का सफर और अभिनय में पहला मौका
Marlon Brando ने अपनी बहन के साथ न्यूयॉर्क जाकर एक्टिंग स्कूल जॉइन किया। वहां उनकी प्रतिभा को पहचान मिलने लगी।
पहली फिल्म ‘द ईगल हैज टू हेड्स’ (1945) के लिए ऑडिशन में खराब प्रदर्शन के बावजूद डायरेक्टर ने उन्हें साइन किया क्योंकि उन्होंने ब्रैंडो की ‘मेथड एक्टिंग’ की प्रतिभा के किस्से सुने थे।
1950 की फिल्म ‘द मैन’ में उन्हें पहली बार स्क्रीन रोल मिला।
लेकिन यह सफलता स्थायी नहीं रही। 1958 से लेकर 1971 तक लगातार फ्लॉप फिल्मों के कारण उनका करियर लगभग खत्म हो गया। इंडस्ट्री में उनका व्यवहार फिल्ममेकर्स को परेशान करता था, इसलिए किसी ने उन्हें दोबारा कास्ट नहीं किया।
फिल्मी करियर: पुरस्कार, प्रसिद्धि और गिरावट
1949 में द मेन से फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले Marlon Brando को 1954 की फिल्म ऑन द वॉटरफ्रंट ने स्टार बना दिया, जिसमें उन्होंने एक मजदूर की भूमिका निभाकर पहला ऑस्कर जीता। 1972 में द गॉडफादर में ‘वीटो कोरलियोन’ की भूमिका ने उन्हें अभिनय का पर्याय बना दिया।
उनके करियर में कई ऊंच-नीच आए लेकिन कुछ फिल्में और किरदार अमर हो गए:
ऑस्कर जीतने वाली भूमिकाएं:
ऑन द वॉटरफ्रंट (1954)
द गॉडफादर (1972)
ऑस्कर नॉमिनेशन वाली भूमिकाएं:
ए स्ट्रीटकार नेम्ड डिज़ायर (1951)
विवा ज़पाटा! (1952)
जूलियस सीज़र (1953)
सयोनारा (1957)
लास्ट टैंगो इन पेरिस (1973)
ए ड्राई व्हाइट सीज़न (1989)
अन्य यादगार फिल्में:
द वाइल्ड वन (1953) – विद्रोही जॉनी स्ट्राबलर
गाइज़ एंड डॉल्स (1955) – स्काई मास्टर्सन
म्यूटिनी ऑन द बाउंटी (1962) – फ्लेचर क्रिश्चियन
सुपरमैन (1978) – जोर-एल
एपोकैलिप्स नाउ (1979) – कर्नल कुर्त्ज
वन-आइड जैक्स (1961) – निर्देशन और अभिनय दोनों
उन्हें दो गोल्डन ग्लोब, एक कान्स पुरस्कार, तीन बाफ्टा अवॉर्ड और एक प्राइमटाइम एमी भी मिला।
‘द गॉडफादर’ और ब्रैंडो की दूसरी पारी
जब ‘द गॉडफादर’ (1972) के लिए कास्टिंग शुरू हुई, तो स्टूडियो ने उन्हें तीन शर्तों पर फिल्म में लेने की मंजूरी दी:
- उन्हें सिर्फ न्यूनतम फीस दी जाएगी (50,000 डॉलर)।
- शूटिंग में बाधा डालने पर उन्हें खुद खर्च उठाना होगा।
- उन्हें पहले स्क्रीन टेस्ट देना होगा।
ब्रैंडो ने खुद मेकअप करके ऑडिशन दिया और सभी को प्रभावित किया। इस फिल्म ने उन्हें फिर से स्टार बना दिया और उन्हें ऑस्कर अवॉर्ड भी मिला, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
ऑस्कर अवॉर्ड से इंकार और सामाजिक विरोध का संदेश
ऑस्कर समारोह में जब उनके नाम की घोषणा हुई, तो Marlon Brando की जगह स्टेज पर आईं अमेरिकी मूल-निवासी महिला सचीन लिटिल फेदर। उन्होंने ब्रैंडो की ओर से यह कहकर अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया:
“Marlon Brando यह पुरस्कार नहीं ले सकते क्योंकि हॉलीवुड में अमेरिकी मूलवासियों की छवि को नकारात्मक रूप में पेश किया जाता है।”
यह विरोध सिर्फ एक प्रतीक नहीं, बल्कि ब्रैंडो की सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उन्होंने न केवल अभिनय में बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी हमेशा बेबाकी से अपनी बात रखी।
निजी जीवन: रिश्तों का जाल और पारिवारिक त्रासदी
Marlon Brando का व्यक्तिगत जीवन जितना जटिल था, उतना ही दुखद भी।
उन्होंने तीन शादियां कीं और 11 बच्चों के पिता बने। उनके कई अफेयर और पुरुषों के साथ भी रिश्ते थे, जो मीडिया की सुर्खियों में रहे।
1990 में उनके बेटे क्रिश्चियन ने उनकी बेटी चेयेन के प्रेमी डैग ड्रोलेट की गोली मारकर हत्या कर दी। डैग उस समय ब्रैंडो के घर पर था और चेयेन आठ महीने की गर्भवती थी।
हत्या के पीछे कारण बताया गया कि चेयेन ने अपने भाई से कहा था कि डैग ने उसे मारा है, जबकि बाद में यह बात झूठी निकली।
इस घटना के कुछ साल बाद चेयेन ने आत्महत्या कर ली। इस त्रासदी ने ब्रैंडो को अंदर से तोड़ दिया।
Marlon Brando की आत्मा की आवाज़ – डॉक्यूमेंट्री ‘लिसन टू मी, मार्लन’
Marlon Brando के जीवन पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘लिसन टू मी, मार्लन’ उनके निजी ऑडियो रिकॉर्डिंग पर आधारित है। इसमें उन्होंने खुद अपनी जिंदगी, दर्द, प्रसिद्धि और परिवार के बारे में जो कुछ कहा है, वह उनकी आत्मा की सच्ची आवाज है।
200 घंटे से अधिक की रिकॉर्डिंग से बनी यह डॉक्यूमेंट्री उनके मानसिक द्वंद, रिश्तों की उलझन और करियर की ऊंच-नीच को बेहद संवेदनशील तरीके से पेश करती है।
ब्रैंडो के शब्दों में उनका जीवन: “मैंने अभिनय को अपना बचाव बनाया, ताकि असल जिंदगी से बच सकूं।”
निष्कर्ष:
Marlon Brando सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, वे एक आंदोलन थे। उन्होंने अपने अभिनय से सिनेमा की परिभाषा बदल दी, लेकिन निजी जीवन में वे दर्द, अपराधबोध और असफलताओं से जूझते रहे। ‘द गॉडफादर’ ने उन्हें अमर बना दिया, लेकिन असल ज़िंदगी में वे लगातार खुद को और अपने अपनों को बचाने की जद्दोजहद में लगे रहे।
उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि एक कलाकार चाहे जितना भी बड़ा हो, उसके पीछे एक आम इंसान की टूटी हुई भावनाएं, अधूरे रिश्ते और गहरे घाव हो सकते हैं।
अगर Marlon Brando की यह कहानी आपके दिल को छू गई हो, तो इसे जरूर साझा करें और बताएं कि आपको इस महान अभिनेता की किस बात ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया।