क्या आपने कभी सोचा है – रोमांस का चेहरा अगर कोई होता, तो वो ऋषि कपूर जैसा होता! भारतीय सिनेमा में मोहब्बत को जो सजीवता, मासूमियत और गहराई मिली है, उसका सबसे खूबसूरत चेहरा रहे हैं Rishi Kapoor। उनकी मुस्कुराहट में वो जादू था जो पहली नज़र में दिल को छू जाए, उनकी आंखों में वो चमक थी जो पर्दे से बाहर निकलकर सीधे दर्शकों की रूह तक उतर जाए। रंग-बिरंगे स्वेटरों, बिंदास अदाओं और दिलकश संवादों से सजी उनकी रोमांटिक छवि ने उन्हें महज़ एक अभिनेता नहीं, बल्कि मोहब्बत की मूरत बना दिया।
Rishi Kapoor की कहानी सिर्फ फिल्मों की कामयाबी से भरी एक यात्रा नहीं, बल्कि एक ऐसा युग है जिसने पर्दे पर प्यार को जीना सिखाया। उन्होंने जब ‘बॉबी’ से रोमांटिक हीरो के रूप में आगाज़ किया, तब से लेकर आखिरी दम तक उन्होंने अपने हर किरदार में दिल से अभिनय किया – और उसी दिल ने उन्हें दर्शकों के दिलों में बसाया। लेकिन पर्दे पर नजर आने वाले इस खूबसूरत सफर के पीछे छिपे थे कई ऐसे दिलचस्प, भावुक और कभी-कभी चौंका देने वाले किस्से, जो उनकी असली ज़िंदगी को और भी खास बनाते हैं।
आज जब हम Rishi Kapoor को याद करते हैं, तो सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक एहसास को याद करते हैं – एक ऐसा एहसास जिसने इश्क़ को नई पहचान दी। आइए, चलते हैं उस रास्ते पर जहां हर मोड़ पर कोई किस्सा है, कोई याद है, कोई अनकही बात है – और एक पूरी ज़िंदगी है जो इस बात का सबूत है कि Rishi Kapoorसिर्फ हीरो नहीं थे, एक दौर थे, जो कभी खत्म नहीं होगा।

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“मैं कपूर खानदान से हूं, पर मेरी पहचान मेरी मेहनत है
बॉलीवुड के शहंशाह परिवार ‘कपूर खानदान’ से ताल्लुक रखने वाले ऋषि कपूर का जन्म 4 सितंबर 1952 को राज कपूर और कृष्णा राज कपूर के घर हुआ। उनके भीतर अभिनय खून में दौड़ता था – और उन्होंने अपने पिता की छाया में नहीं, बल्कि अपने हुनर के दम पर एक मुकाम हासिल किया।
“क्या तीन साल की उम्र में भी कोई सितारा बन सकता है?”
Rishi Kapoor ने फिल्मों में पहला कदम तब रखा जब वे महज़ तीन साल के थे। राज कपूर की कालजयी फिल्म ‘श्री 420’ के मशहूर गाने ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ में बारिश में चलते उस मासूम बच्चे को कौन भूल सकता है? वो कोई और नहीं, खुद Rishi Kapoor थे। हालांकि उन्हें असली पहचान मिली 1970 में आई ‘मेरा नाम जोकर’ से, जहां उन्होंने किशोर जोकर की भूमिका निभाई और अपने अभिनय से सभी का दिल जीत लिया। उनके इस किरदार के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया – और यहीं से शुरू हुआ वो कारवां, जो आने वाले दशकों में हर दिल तक पहुंचेगा।
“बॉबी: क्या वाकई एक फिल्म ने बदल दी रोमांस की परिभाषा?”
1973 में जब Rishi Kapoor ने ‘बॉबी’ से बतौर हीरो डेब्यू किया, तो किसी ने नहीं सोचा था कि ये फिल्म रोमांस का चेहरा ही बदल देगी। डिंपल कपाड़िया के साथ उनकी मासूम और बगावती मोहब्बत ने युवाओं की धड़कनें बढ़ा दीं। रंगीन स्वेटर, छेड़खानी भरे अंदाज़, और उनकी टीनएज चुलबुलाहट ने उन्हें “रोमांस का बादशाह” बना दिया। ‘लैला मजनूं’, ‘कर्ज़’, ‘सागर’, ‘चांदनी’, ‘नगीना’, जैसी रोमांटिक फिल्मों ने उनके नाम को अमर कर दिया। रोमांस का मतलब बन गए – Rishi Kapoor।
“क्या रील से रियल तक हो सकती है ऐसी मोहब्बत?”
फिल्मों में कई जोड़ियां बनती हैं, लेकिन Rishi Kapoor और नीतू सिंह की जोड़ी ने जो कमाल किया, वो रील से निकलकर रियल तक गया। दोनों ने ‘खेल खेल में’, ‘कभी कभी’, ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। लेकिन क्या आप जानते हैं – शादी के दिन न सिर्फ भीड़, बल्कि लहंगे की भारीपन के कारण ऋषि और नीतू दोनों बेहोश हो गए थे! एक ऐसा किस्सा जो आज भी हर शादीशुदा जोड़े को मुस्कुराने पर मजबूर कर देता है। शादी के बाद भी जब उन्होंने ‘दो दूनी चार’ और ‘बेशरम’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया, तो लगा जैसे वक्त थम गया हो।
“क्या अफेयर के किस्सों में था कुछ सच्च?”
Rishi Kapoor की जिंदगी फिल्मों जितनी ही रंगीन थी। किशोरावस्था में उनका नाम यासमीन नाम की एक लड़की से जुड़ा, और बाद में जूही चावला के साथ भी अफवाहें उड़ीं। मगर जब नीतू उनकी ज़िंदगी में आईं, तो उन्होंने खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया। Rishi Kapoor उन चंद सितारों में से थे, जिन्होंने प्यार को निभाया – सिर्फ परदे पर नहीं, असल ज़िंदगी में भी।
“जब स्वेटर ने बना दिया था उन्हें स्टाइल आइकन!”
क्या आपने कभी किसी अभिनेता को सिर्फ स्वेटरों के लिए याद किया है? Rishi Kapoor का स्टाइल ऐसा था कि हर फिल्म में उन्होंने नया स्वेटर पहना – और कभी दोहराया नहीं! उनकी फिल्मों के बाद बाजारों में उन स्वेटरों की डिमांड बढ़ जाती थी। लोग कहते थे – “ऋषि कपूर हैं तो फैशन भी होगा।” यही वजह थी कि उन्हें ‘स्वेटरमैन ऑफ इंडिया’ का खिताब मिला – एक ऐसा स्टाइल स्टेटमेंट जो आज भी ट्रेंड में है।
“क्या आप जानते हैं वॉशरूम का वो वाकया?”
‘रफू चक्कर’ की शूटिंग के दौरान Rishi Kapoor महिला वेशभूषा में थे। लेकिन शूट के बीच उन्हें वॉशरूम जाना पड़ा। पुरुष टॉयलेट में महिला गेटअप में जाना? कितना अजीब लगता है ना? लेकिन जाना पड़ा – और जब बाहर निकले, तो हर कोई उन्हें घूर रहा था। बाद में जब लोगों को पता चला कि ये Rishi Kapoor थे, तो माहौल ही बदल गया। एक ऐसा किस्सा जो दर्शाता है कि कभी-कभी सिचुएशन खुद ही कॉमेडी बन जाती है।
“क्या ‘अमर अकबर एंथनी’ की वो गलती जानबूझकर छोड़ी गई थी?”
‘अमर अकबर एंथनी’ में एक सीन में Rishi Kapoor , नीतू को उनके रियल नाम ‘नीतू’ से पुकार बैठते हैं। ये एक टेक्निकल गलती थी – लेकिन हटाई नहीं गई। आज भी जब लोग वो सीन देखते हैं, तो मुस्कुराए बिना नहीं रहते। ये छोटी-छोटी बातें ऋषि कपूर को दर्शकों के दिलों के और करीब ले आती हैं।
“क्या वो डायरेक्टर भी उतने ही बेहतरीन थे?”
1999 में Rishi Kapoor ने फिल्म ‘आ अब लौट चलें’ डायरेक्ट की, जिसमें थे ऐश्वर्या राय और अक्षय खन्ना। फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर खास कमाल न कर पाई हो, लेकिन इससे यह ज़ाहिर हो गया कि ऋषि कपूर सिर्फ एक अभिनेता नहीं, एक संवेदनशील और कल्पनाशील निर्देशक भी थे। उनका ये प्रयास बताता है कि वो हर माध्यम में कुछ नया करना चाहते थे।
“क्या उनका आखिरी सपना अधूरा रह गया?”
30 अप्रैल 2020 – वो दिन जब ऋषि कपूर ने दुनिया को अलविदा कहा। कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद भी उनका जज़्बा कभी नहीं टूटा। लेकिन जो एक बात उन्हें कचोटती रही, वो थी रणबीर कपूर की शादी। उनका सपना था – बेटे को घोड़ी चढ़ते देखना। अफसोस, ये सपना अधूरा रह गया। और इसी अधूरे सपने के साथ चला गया रोमांस का वो युग, जिसकी जगह कोई और नहीं ले सकता।
Rishi Kapoor के जीवन के 10 दिलचस्प और अनसुने किस्से
- तीन साल की उम्र में ‘श्री 420’ से अभिनय की शुरुआत।
- ‘बॉबी’ से बॉलीवुड में रोमांस का चेहरा बने।
- नीतू सिंह से ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन मोहब्बत।
- शादी के दिन भीड़ और लहंगे से बेहोश हो गए थे।
- महिला गेटअप में वॉशरूम का अनोखा अनुभव।
- हर फिल्म में नया स्वेटर – बने ‘स्वेटरमैन ऑफ इंडिया’।
- ‘आ अब लौट चलें’ से निर्देशन की दुनिया में कदम रखा।
- ‘अमर अकबर एंथनी’ में टेक गलती आज भी मौजूद।
- यासमीन और जूही के साथ अफेयर की चर्चाएं।
- रणबीर की शादी देखने का सपना अधूरा रह गया।
निष्कर्ष:
Rishi Kapoor सिर्फ एक नाम नहीं था – वो एक एहसास थे। उन्होंने ना सिर्फ सिनेमा को बदल दिया, बल्कि दर्शकों की सोच को भी छू लिया। उनकी ज़िंदगी में रोमांस था, कॉमेडी थी, ड्रामा था – लेकिन सबसे ऊपर था सच्चाई और इंसानियत। उन्होंने पर्दे पर मोहब्बत को ज़िंदा किया, और ज़िंदगी में हर किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाया। आज भी जब उनकी तस्वीर सामने आती है – एक मुस्कुराहट और एक स्वेटर ज़रूर साथ होता है।