Super boys Of Malegaon : फ़िल्मीइश्क की कहानी : क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटे से शहर के चार दोस्त बड़े पर्दे के सपने कैसे बुनते हैं? “सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव” ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी लेकर आ रही है, जिसने न केवल फिल्म फेस्टिवल्स में धूम मचाई है, बल्कि अब दर्शकों के दिलों को छूने के लिए तैयार है। महाराष्ट्र के छोटे से शहर मालेगांव में सिनेमा का एक अनोखा क्रेज है। यहां के लोग अपनी जुगाड़ू तकनीक और जुनून से कम बजट में भी बड़ी कहानियां गढ़ने का सपना देखते हैं। इसी शहर में चार दोस्तों— नासिर, अयान, साजिद और इरफान— की कहानी शुरू होती है। ये चारों दिन में अलग-अलग काम करते हैं, लेकिन रात को उनकी दुनिया बदल जाती है— तब वे सिनेमा के अपने सपनों को जीते हैं।
“मुंबई जाने की क्या ज़रूरत है? हम यहीं अपने गाँव में मुंबई को ले आते हैं। यहीं पिक्चर बनाते हैं।”
सपनों का शहर, संघर्ष की दास्तान

पहला भाग: एक सपना जन्म लेता है
नासिर (आदर्श गौरव) एक साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाता है, लेकिन उसका दिल फिल्म बनाने में बसता है। उसका दोस्त अयान (विनीत कुमार सिंह) एक दर्जी है, जिसे स्क्रिप्ट लिखने का शौक है। साजिद (शशांक अरोड़ा) शहर के एक पुराने वीडियो पार्लर में काम करता है और फिल्म एडिटिंग में दिलचस्पी रखता है, जबकि इरफान एक शादीशुदा आदमी है जो अपने सपनों और जिम्मेदारियों के बीच उलझा हुआ है। एक रात, ये चारों अपने छोटे शहर की सीमाओं को तोड़ने और अपनी खुद की एक अनोखी फिल्म बनाने का फैसला करते हैं— ऐसी फिल्म (Super boys Of Malegaon), जो मालेगांव के लोगों की कहानी बताए, उनकी हंसी, उनके संघर्ष और उनके सपनों को दुनिया के सामने रखे।
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दूसरा भाग: संघर्ष और जुगाड़ की दुनिया
लेकिन मालेगांव में फिल्म बनाना आसान नहीं है। इनके पास पैसा नहीं, महंगे कैमरे नहीं, प्रोफेशनल एक्टर नहीं— सिर्फ जुनून और सपने हैं।
- कैमरा भी जुगाड़ से बनाया जाता है – मोबाइल और पुराने कैमरों को जोड़कर।
- फिल्म के सेट गरीब गलियों और खेतों में बनाए जाते हैं।
- VFX के लिए ग्रीन स्क्रीन के बदले हरे रंग की चादर इस्तेमाल होती है।
- डायलॉग्स के लिए पुराने बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों से प्रेरणा ली जाती है।
जब शहर के लोग उनकी मेहनत को मजाक समझते हैं, तो नासिर कहता है:
“बॉलीवुड हमारे खून में है, हॉलीवुड हमारे सपनों में, और मालेगांव हमारी ज़मीन है – हम अपनी फिल्म बनाएंगे, किसी भी कीमत पर!”
तीसरा भाग: सपनों की उड़ान : “मालेगांव की शोले बनाएंगे!”
फिल्म की शूटिंग के दौरान कई अड़चनें आती हैं—
- पैसे की कमी
- स्थानीय लोगों की नकारात्मक सोच
- पारिवारिक दबाव
- तकनीकी कठिनाइयाँ
लेकिन यह चारों दोस्त हार नहीं मानते। आखिरकार, वे अपनी फिल्म “मालेगांव के सुपरबॉयज” को पूरा कर लेते हैं।
चौथा भाग: सफलता की कहानी
इनका सपना तब पूरा होता है जब उनकी बनाई फिल्म वायरल हो जाती है। सोशल मीडिया पर लोग उनकी मेहनत और जुगाड़ को सलाम करते हैं। यह फिल्म न सिर्फ मालेगांव बल्कि इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स तक पहुंचती है।
अंतिम सीन:
नासिर और उसके दोस्त मालेगांव के छोटे से थिएटर में बैठकर अपनी फिल्म देखते हैं। पर्दे पर उनका नाम चमकता है। आंखों में आंसू, दिल में गर्व और चेहरे पर मुस्कान— उन्होंने अपने शहर को गर्व महसूस कराया है।
“हमने साबित कर दिया कि सपने छोटे शहरों में भी देखे जाते हैं, और अगर जुनून हो, तो वो पूरे भी किए जाते हैं।”
मालेगांव से निकली कहानी
महाराष्ट्र के छोटे से शहर मालेगांव की गलियों में पले-बढ़े चार दोस्तों की यह कहानी, उनके सिनेमा के प्रति जुनून और बड़े सपनों की उड़ान को दर्शाती है। फिल्म के रियल हीरो नासिर शेख की जिंदगी से प्रेरित यह कहानी, आदर्श गौरव के साथ मिलकर मालेगांव के सिनेमा प्रेम को सेलिब्रेट करती है।
Super boys Of Malegaon फिल्म फेस्टिवल्स में मिली सराहना
“सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव” ने 49वें टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (TIFF) में प्रीमियर के दौरान स्टैंडिंग ओवेशन हासिल किया। दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट ने साबित किया कि यह फिल्म दिलों को छूने में कामयाब रही है।
Super boys Of Malegaon 28 फरवरी 2025: रिलीज की तारीख
फिल्म 28 फरवरी 2025 को भारत, अमेरिका, यूके, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में थिएट्रिकल रिलीज़ के लिए तैयार है। प्राइम वीडियो पर डिजिटल प्रीमियर के बाद, यह फिल्म दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंचेगी।
Super boys Of Malegaon प्रमुख कलाकार और क्रिएटिव टीम
आदर्श गौरव, विनीत कुमार सिंह, शशांक अरोड़ा जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों से सजी इस फिल्म का निर्देशन रीमा कागती ने किया है, जबकि पटकथा वरुण ग्रोवर ने लिखी है। रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर, जोया अख्तर और रीमा कागती ने इसे प्रोड्यूस किया है।
फिल्म “सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव” की क्रिएटिव टीम और कलाकारों की जानकारी
भूमिका | नाम |
---|---|
निर्देशक | रीमा कागती |
पटकथा लेखक | वरुण ग्रोवर |
निर्माता | रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर, जोया अख्तर, रीमा कागती |
मुख्य अभिनेता | आदर्श गौरव, विनीत कुमार सिंह, शशांक अरोड़ा |
सहायक अभिनेता | अनुज सिंह दुहान, साकिब अयूब, पल्लव सिंह, मंजीरी पुपाला, मुस्कान जाफरी, ऋद्धि कुमार |
Superboys Of Malegaon फ़िल्मी इश्क की असली कहानी
यह फिल्म दिखाती है कि कैसे मालेगांव के ये चार दोस्त अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करते हैं और सिनेमा के प्रति अपने जुनून को जीते हैं। उनकी यह यात्रा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह साबित करती है कि अगर हौसला हो, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। 2008 में सबसे पहले फैज़ा अहमद खान ने हिंदी डॉक्यूमेंट्री बनायीं थी , जिसका नाम था Supermen of Malegaon ! बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने भी अपने शो “सत्यमेव जयते में इसका जिक्र किया था “
एक 2008 की हिंदी डॉक्यूमेंट्री फिल्म है, जिसे फैज़ा अहमद खान ने निर्देशित किया है। यह फिल्म महाराष्ट्र के छोटे से शहर मालेगांव के निवासियों की फिल्म निर्माण के प्रति गहरी लगन और जुनून को दर्शाती है। मालेगांव, जो साम्प्रदायिक तनाव और आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहा है, के लोग अपनी कठिन वास्तविकताओं से बचने के लिए सिनेमा की दुनिया में शरण लेते हैं। स्थानीय फिल्म निर्माता, जैसे शेख नासिर, लोकप्रिय बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों के स्पूफ बनाते हैं, जो स्थानीय दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। यह डॉक्यूमेंट्री उनकी “मालेगांव का सुपरमैन” नामक फिल्म के निर्माण की प्रक्रिया को दर्शाती है, जिसमें सीमित संसाधनों के बावजूद उनकी रचनात्मकता और समर्पण को बखूबी दिखाया गया है।
Supermen of Malegaon
फिल्म की शूटिंग 2008 में सात महीनों के दौरान की गई थी, और इसे 29 जून 2012 को सिनेमाघरों में रिलीज़ किया गया। रिलीज़ के बाद, “सुपरमेन ऑफ मालेगांव” को आलोचकों से व्यापक प्रशंसा मिली। रेडिफ़ की प्रीति अरोड़ा ने इसे “स्वतंत्र डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण का सबसे हार्दिक, सबसे ईमानदार, और सबसे आनंददायक” बताया। सीएनएन-आईबीएन के राजीव मसंद ने लिखा, “लगभग 65 मिनट की यह फिल्म तेज़, आनंददायक है, और आपको कान से कान तक मुस्कुराने पर मजबूर कर देगी।” टाइम्स ऑफ इंडिया के गौरव मलानी ने कहा, “सुपरमैन ऑफ मालेगांव किसी भी औसत व्यक्ति के उस अंतर्निहित फैंटेसी का उत्सव है, जो एक स्टार या स्टार-निर्माता बनने का सपना देखता है, चाहे उनकी पात्रता कुछ भी हो।”
फिल्म ने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार भी जीते, जिनमें रोम में एशियाटिका फिल्म मेडियाले में जूरी पुरस्कार, पाकिस्तान के कारा फिल्म फेस्टिवल में जूरी पुरस्कार, और नेपाल में फिल्म साउथ एशिया में बेस्ट डेब्यू फिल्म शामिल हैं।
“सुपरमेन ऑफ मालेगांव” न केवल सिनेमा के प्रति मालेगांव के निवासियों के जुनून को दर्शाती है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे सीमित संसाधनों के बावजूद रचनात्मकता और समर्पण के साथ उत्कृष्ट फिल्में बनाई जा सकती हैं।
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