Vyjayanthimala: नृत्य, नारीत्व और निडरता की जीती-जागती मिसाल

Vyjayanthimala: नृत्य, नारीत्व और निडरता की जीती-जागती मिसाल

Vyjayanthimala — भारतीय सिनेमा की वो चमकदार कड़ी, जिनकी पहचान सिर्फ एक अभिनेत्री या नृत्यांगना तक सीमित नहीं रही। वे सौंदर्य, अनुशासन, आत्मसम्मान और विद्रोह का ऐसा संगम थीं, जिन्होंने सिनेमा के पर्दे को भरतनाट्यम की लयबद्ध गरिमा से रोशन किया। उन्होंने भारतीय महिला को सशक्त, आत्मनिर्भर और परंपरा में आधुनिकता खोजने वाली एक नई छवि दी।

Vyjayanthimala

प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: 13 अगस्त 1936, मद्रास (अब चेन्नई)
  • परिवार: तमिल ब्राह्मण, परंपरागत संगीत-नृत्य से जुड़ा परिवार
  • बाल्यकाल: Vyjayanthimala बचपन से ही प्रतिभाशाली थीं। 5 वर्ष की उम्र में उन्होंने वेटिकन में पॉप पोप पायस XII के समक्ष नृत्य प्रस्तुत किया था।
  • शिक्षा: भरतनाट्यम में विधिवत शिक्षा; गुरु वैद्यनाथन से प्रशिक्षण
  • अरंगेत्रम: 16 साल की उम्र में पहला मंच प्रदर्शन — यही उनकी कला यात्रा का औपचारिक आरंभ था।

फ़िल्मी करियर की शुरुआत

  • प्रथम फिल्म: 1949 की तमिल फिल्म Vazhkai से डेब्यू
  • हिंदी सिनेमा में प्रवेश: 1951 में फिल्म Bahar से बॉलीवुड में कदम रखा
  • पहली बड़ी सफलता: Nagin (1954) — संगीत, सौंदर्य और अभिनय का विस्फोट

स्वर्णिम फिल्मी सफर

Vyjayanthimala का करियर 1950 से 1970 तक चरम पर रहा। उन्होंने बॉलीवुड को डांस और अभिनय का ऐसा संगम दिया, जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है। वे सिनेमा में नृत्य की गरिमा वापस लाने वाली पहली अभिनेत्री थीं।

प्रमुख फिल्में:

  1. नागिन (1954) – शानदार संगीत और रहस्यमयी सौंदर्य
  2. देवदास (1955) – चंद्रमुखी के रूप में सशक्त प्रस्तुति
  3. नया दौर (1957) – तकनीक बनाम मानवीय संवेदना
  4. मधुमती (1958) – पुनर्जन्म की पहली सफल कहानी
  5. संगम (1964) – प्रेम, आत्मबलिदान और साहस
  6. अमरपाली (1966) – नृत्य और स्त्री चेतना की गूंज
  7. ज्वेल थीफ (1967) – ग्लैमर और साज़िश का संगम
  8. संगर्ष (1968) – दिलीप कुमार के साथ अंतिम रोमांटिक फिल्म

नृत्य की देवी – सिनेमा में भरतनाट्यम की प्रतिष्ठा

Vyjayanthimala ने मंच से भरतनाट्यम को फिल्मों तक पहुँचाया।

  • फिल्मों में नृत्य को ‘आइटम’ नहीं, ‘आराधना’ की तरह प्रस्तुत किया।
  • अमरपाली, नया दौर, और मधुमती में उनके नृत्य दृश्यों ने एक पूरी पीढ़ी को भारतीय शास्त्रीय कला से जोड़ा।
  • उन्होंने मंचीय नृत्य और सिनेमा के बीच एक पुल बनाया — सौंदर्य, तकनीक और आत्मा से परिपूर्ण।

प्रेम, विवाद और आत्मसम्मान

दिलीप कुमार के साथ रिश्ता:

  • गंगा-जमुना, संगर्ष, मधुमती में दोनों की केमिस्ट्री दर्शकों के दिलों में आज भी बसी है।
  • पर ‘संगम’ फिल्म के बाद उनके रिश्तों में दरार आई।
  • वर्षों बाद सायरा बानो ने दोनों के बीच सुलह करवाई।

राज कपूर के साथ अफेयर:

  • संगम के दौरान दोनों के बीच नज़दीकियाँ बढ़ीं।
  • चर्चाओं के अनुसार कृष्णा कपूर ने इस वजह से कुछ समय के लिए घर छोड़ दिया था।
  • यह रिश्ता भी Vyjayanthimala की छवि और निजी जीवन के लिए मुश्किल साबित हुआ।

साहसिक निर्णय – शादी और विदाई

  • 1968 में उन्होंने डॉ. चमनलाल बाली से विवाह कर लिया — वे पहले से शादीशुदा और तीन बच्चों के पिता थे।
  • तमिल ब्राह्मण समाज से आने वाली Vyjayanthimala का यह निर्णय क्रांतिकारी था।
  • शादी के बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कहा और पूर्ण रूप से नृत्य एवं सार्वजनिक सेवा को समर्पित हो गईं।

राजनीतिक जीवन

  • 1984: कांग्रेस से राजनीति में प्रवेश, तमिलनाडु से लोकसभा चुनाव जीता।
  • 1989: दूसरी बार विजयी रहीं।
  • राज्यसभा: नामित सदस्य रहीं।
  • 1999: कांग्रेस की नीतियों से असहमति के कारण भाजपा में शामिल हो गईं।

सम्मान और पुरस्कार

पुरस्कारवर्षविवरण
पद्म श्री1968सिनेमा और नृत्य के लिए
पद्म विभूषण2024जीवनभर की उपलब्धियों हेतु
फिल्मफेयर अवॉर्ड (Devdas)1955लेकिन ठुकरा दिया — चंद्रमुखी को साइड रोल कहना अनुचित बताया
राष्ट्रीय पुरस्कारनृत्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए

कुछ रोचक तथ्य

  • Vyjayanthimala साउथ की पहली अभिनेत्री थीं जिन्होंने हिंदी सिनेमा में स्विमसूट पहनकर साहसी छवि प्रस्तुत की (संगम, 1964)।
  • उन्होंने कभी शराब, सिगरेट, या नाइट क्लब संस्कृति को अपनाया नहीं — यह उस दौर के लिए असामान्य था।
  • नृत्य के माध्यम से धर्म और अध्यात्म को जोड़ने का काम किया।

मुख्य तथ्य संक्षेप में

बिंदुविवरण
असली नामVyjayanthimala बाली (पूर्व नाम: वैजयंतीमाला राम)
जन्म13 अगस्त 1936, मद्रास
फिल्मी डेब्यू1949, तमिल फिल्म ‘Vazhkai’
हिंदी डेब्यू1951, ‘Bahar’
प्रसिद्ध फिल्मेंदेवदास, संगम, नया दौर, अमरपाली
पतिडॉ. चमनलाल बाली
नृत्य शैलीभरतनाट्यम
राजनीतिक जीवनसांसद, कांग्रेस व भाजपा दोनों में कार्य
सम्मानपद्म श्री, पद्म विभूषण

निष्कर्ष

Vyjayanthimala की कहानी परंपरा और विद्रोह के बीच संतुलन की कहानी है। उन्होंने जहाँ एक ओर भारतीय नारी की गरिमा को मंच और परदे दोनों पर प्रतिष्ठित किया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने हर निर्णय से यह सिद्ध किया कि आत्मसम्मान और नारीत्व कभी समझौता नहीं करता। वे आज भी नृत्य के मंच पर सक्रिय हैं और उनकी मुस्कान में वही तेज है, जो कभी फिल्मी परदे को रोशन करता था। वो सिर्फ नायिका नहीं थीं – वो एक आंदोलन थीं।

FILM , FAME, FANTACY

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