“Ziddi Girls” वेब सीरीज़ ने हाल ही में डिजिटल दुनिया में धूम मचाई है, और इसके बारे में बातें न हों, ऐसा कैसे हो सकता है? Ziddi Girls एक ताजगी भरी वेब सीरीज़ है जो पाँच युवतियों की कॉलेज जीवन की यात्रा को दर्शाती है। यह सीरीज़ 27 फरवरी, 2025 को प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई थी।
Table of Contents
Ziddi Girls कहानी की झलक:
दिल्ली के प्रतिष्ठित मैटिल्डा हाउस कॉलेज की पृष्ठभूमि में सेट, “Ziddi Girls” पांच नई छात्राओं – वल्लिका, देविका, तब्बसुम, त्रिशा, और वंदना – की कहानी है। ये सभी अपने सपनों और उम्मीदों के साथ कॉलेज में कदम रखती हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें सख्त प्रिंसिपल लता बख्शी (सिमरन) के कठोर नियमों का सामना करना पड़ता है। जब एक सेक्स एजुकेशन फिल्म को पोर्नोग्राफी के रूप में गलत समझा जाता है, तो यह विवाद का कारण बनता है, जिससे छात्राओं और प्रशासन के बीच संघर्ष बढ़ता है। यह सीरीज़ इन युवतियों की आत्म-खोज, दोस्ती, और सामाजिक मानदंडों के खिलाफ उनकी लड़ाई को उजागर करती है।
एपिसोड 1: “फच्चास फ्रेशर”
पहले एपिसोड में, देविका कुमारी एक सेक्स-एड नाइट के दौरान एक वीडियो लीक करती है, जिससे कॉलेज में विवाद उत्पन्न होता है। नव नियुक्त प्रिंसिपल लता बख्शी इस मुद्दे पर खुली बातचीत का समर्थन करती हैं, लेकिन पारो सरना को निष्कासित करने का दबाव भी महसूस करती हैं। फर्स्ट-ईयर छात्राएँ वल्लिका, देविका, तबस्सुम, वंदना, और त्रिशा अपने पहले सेमेस्टर की चुनौतियों का सामना करती हैं, जबकि मटिल्डा हाउस इस संकट से जूझ रहा है।
एपिसोड 2: “पारो की पीजी पार्टी”
दूसरे एपिसोड में, प्रिंसिपल बख्शी के हॉस्टल कर्फ्यू को उलटने के प्रयास के खिलाफ सीनियर्स, पारो और शुभ्रा के नेतृत्व में, अभियान चलाते हैं। बख्शी इस वोट को अपने पक्ष में करने का प्रयास करती हैं ताकि सेक्स-एड घटना के प्रभाव से मटिल्डा हाउस को बचाया जा सके। वंदना, तबस्सुम, त्रिशा और वल्लिका पारो की पीजी पार्टी में शामिल होती हैं, जबकि देविका असहज महसूस करती है और पार्टी छोड़ देती है।
एपिसोड 3: “भूख हड़ताल”
तीसरे एपिसोड में, बख्शी के रेफरेंडम से कर्फ्यू वापस आ जाता है, जिससे मटिल्डा हाउस के सीनियर्स और फैकल्टी में असंतोष फैलता है। फ्रेशर्स की जिंदगी आगे बढ़ती है: वंदना पीजी में शिफ्ट होती है, त्रिशा तबस्सुम के साथ बॉन्ड करती है और पार्थ को प्रभावित करने के लिए हॉकी खेलती है। पारो, मटिल्डा हाउस की हार से दुखी होकर, भूख हड़ताल शुरू करती है। इस बीच, फ्रेशर्स की दोस्ती गहरी होती है, लेकिन तनाव भी बढ़ता है।
एपिसोड 4: “कुछ ज़िद्दी लड़कियाँ”
चौथे एपिसोड में, त्रिशा, वंदना, वल्लिका, तबस्सुम, और देविका की दोस्ती गहरी होती है, और वे एक-दूसरे के जुनून को समझती हैं। जब अमीर सोशलाइट अनीता राघानी सार्वजनिक शिक्षा को चुनौती देती है, तो लता बख्शी उसका विरोध करती हैं, जिससे दोनों के बीच टकराव होता है। इस बीच, पारो और उसके दोस्त बख्शी की सेंसरशिप के खिलाफ मास्टरपीस में एक गुप्त प्रदर्शन की योजना बनाते हैं।
एपिसोड 5: “मैं डरना नहीं चाहती”
पाँचवें एपिसोड में, भूख हड़ताल समाप्त होती है, जिससे फ्रेशर्स पर प्रभाव पड़ता है। तबस्सुम एक ब्रांड डील हासिल करती है, त्रिशा हॉकी पर ध्यान केंद्रित करती है, वंदना एक्सपेरिमंच में चुनौतियों का सामना करती है, वल्लिका पारो के प्रतिरोध में शामिल होती है, और देविका वित्तीय संघर्षों से जूझती है। बख्शी देविका को एक स्कॉलरशिप की पेशकश करती हैं, लेकिन उससे पारो पर जासूसी करने के लिए कहती हैं, जिससे देविका की वफादारी पर सवाल उठता है। तनाव बढ़ता है, और देविका को एक पक्ष चुनना पड़ता है।
एपिसोड 6: “अपने मन की करूंगी”
छठे एपिसोड में, मास्टरपीस में तनाव बढ़ता है क्योंकि पारो का प्रतिरोध समूह देविका और वल्लिका को भर्ती करता है, जबकि देविका अपनी स्कॉलरशिप बनाए रखने के लिए बख्शी के लिए जासूसी करने के संघर्ष में है। वंदना को एक चौंकाने वाले स्टेज मोमेंट में फंसाया जाता है, जिससे उसे सस्पेंड कर दिया जाता है। दोस्ती के ड्रामा और खेल की जीत के बीच, पारो का बख्शी के खिलाफ गुप्त विरोध विफल हो जाता है। वंदना गायब हो जाती है, जिससे फ्रेशर्स चिंतित हो जाते हैं कि उसकी मदद कैसे करें।
“ज़िद्दी गर्ल्स” की यह कहानी दर्शाती है कि कैसे पाँच युवतियाँ अपने कॉलेज जीवन में विभिन्न चुनौतियों का सामना करती हैं, अपनी आवाज़ और पहचान की खोज करती हैं, और एक-दूसरे का समर्थन करती हैं। यह सीरीज़ महिला मित्रता, विद्रोह, और आत्म-खोज की एक प्रेरणादायक कहानी प्रस्तुत करती है।
एपिसोड 7: क्या सबका फर्स्ट इयर इतना हप्पिनिंग होता है ?
आंदोलन अपने चरम पर पहुँचता है, और लड़कियाँ एक महत्वपूर्ण निर्णय लेती हैं जो उनके भविष्य को प्रभावित करेगा। उनकी ज़िद और साहस उन्हें एक नई दिशा में ले जाता है।
एपिसोड 8: अभिव्यक्ति के खतरे
अंतिम एपिसोड में, लड़कियाँ अपने संघर्षों से सीखकर और मजबूत बनकर उभरती हैं। वे समझती हैं कि ज़िद और दृढ़ता से वे अपनी मंज़िल तक पहुँच सकती हैं।
“Ziddi Girls” एक प्रेरणादायक कहानी है जो दिखाती है कि कैसे युवा लड़कियाँ अपनी ज़िद, साहस, और दोस्ती के बल पर समाज की चुनौतियों का सामना करती हैं और अपने सपनों को साकार करती हैं। सीरीज़ की निर्देशन शोनाली बोस, नेहा वीणा शर्मा, और वसंत नाथ ने किया है, और इसमें नंदिता दास, रेवती, सिमरन, नंदिश सिंह, अनुप्रिया कैरोली, अतीया तारा नायक, आयुषी रावत, ज़ैना अली, और उमंग भदाना मुख्य भूमिकाएँ निभा रहे हैं।

Ziddi Girls मुख्य बिंदु:
- निर्देशन: शोनाली बोस, नेहा वीना शर्मा, और वसंत नाथ ने इस सीरीज़ का निर्देशन किया है, जो “Four More Shots Please” की टीम द्वारा निर्मित है।
- अभिनय: अतिया तारा नायक, उमंग भदाना, ज़ैना अली, दीया दामिनी, और अनुप्रिया कैरोली ने मुख्य पात्रों की भूमिकाएँ निभाई हैं। वयोवृद्ध अभिनेता सिमरन, नंदिता दास, नंदिश सिंह संधू, और रेवती ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं।
- थीम: सीरीज़ में महिला सशक्तिकरण, संस्थागत नियंत्रण, और सामूहिक प्रतिरोध जैसे महत्वपूर्ण विषयों को छुआ गया है।
Ziddi Girls समीक्षा:
“Ziddi Girls” का उद्देश्य एक सशक्त और निर्भीक कहानी प्रस्तुत करना था, लेकिन इसकी पूर्वानुमेय कहानी और कमजोर पटकथा इसे पीछे खींचती है। किरदारों का विकास अधूरा महसूस होता है, और कई बार संवाद उपदेशात्मक प्रतीत होते हैं। हालांकि, सीरीज़ के विषय सामयिक और महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनका प्रस्तुतीकरण प्रभावी नहीं हो पाया है।
क्या यह सीरीज़ “Sex Education” जैसी अन्य सीरीज़ की याद दिलाती है? हाँ, “Ziddi Girls” का सेक्स-पॉजिटिव दृष्टिकोण “Sex Education” से मेल खाता है, लेकिन इसकी कहानी और प्रस्तुति में मौलिकता की कमी है।
- क्या सीरीज़ का निर्देशन प्रभावशाली है? निर्देशन में कुछ कमियाँ हैं, जो कहानी को पूरी तरह से उभरने नहीं देतीं।
निष्कर्ष:
“Ziddi Girls” एक महत्वपूर्ण विषय को छूती है, लेकिन इसकी प्रस्तुति में सुधार की आवश्यकता है। यदि आप महिला सशक्तिकरण और संस्थागत चुनौतियों पर आधारित कहानियों में रुचि रखते हैं, तो इसे एक बार देख सकते हैं, लेकिन उच्च अपेक्षाएँ न रखें।